The reality of truthEditorial

दुनिया में आज सच कहीं खोता जा रहा हैं। चारों तरफ झुठ का ही बोलवाला हैं। सच्चाई इमानदारी तो अब ख्वावों ख्यालों की सी बात हो गई हैं। आज हर जगह झुठ और भ्रष्टाचार, बेइमानी ही नजर आती हैं। बेइमानी के इस दलदल में सच की सासे दबती सी जा रही हैं। और सच अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।

दुनिया में कुछ गिने चुने लोग ही है। जो सच के साथ आज भी खड़े है। फिर भी झुठ, बेइमानी, भ्रष्टाचार ऐसे लोगों के गले में ऐसे काले नांग की तरह लिपट जाते हैं। सच्चाई पंसद इंसान का दुनिया में जीना मुस्किल कर दिया जाता हैं। जो सच्चाई पंसद लोग होते हैं। उनमें झुठ और छल, कपट नहीं होता हैं। इसलिए जब उनका सामना छल और कपट से होता हैं। तो उन्हें कुछ समझ में नहीं आता हैं वो क्या करें। और इस जाल से कैसे निकले।

हमारे देश में तो भ्रष्टाचार और बेइमानी, झुठ, छल, कपट तो लोगों की नसों में आज कल खुन की तरह रहता है। ऐसे लोग अपने आप को ईमानदारी और सच्चाई का पेकर बनाकर दुनिया के सामने पेश करते हैं। सच विचारा झुठ के इस जाल को समझ ही नहीं पाता है।
क्योंकि सच तो वो होता है। जो किसी के बारे में गलत सोचता भी नहीं हैं।

आप किसी सरकारी महकमें में ही कोई छोटा सा काम कराने चले जाओं फिर जो हकीकत आपके सामने होगी वो आपके परों तले से जमीन ही खिसका देगी। क्या बजुर्ग क्या बच्चें सबके साथ एक जैसा ही व्यवहार होता हैं।

डॉक्टरी फील्ड की बात करें तो पहले डॉक्टर भगवान का एक रूप होते थे। लेकिन आज दौलत की लालच में ये लोग मरे हुए व्यक्ति को आईसीयू में रखकर परिवार से झुठ पर झुठ बोलने में लगें होते हैं। और जब इनका कोटा पूरा हो जाता है। तो ये बड़ी बेसर्मी से परिवार से कह देते हैं। आपका अपना इस दुनिया नहीं हैं।

हमेशा सच का पाठ पढ़ाने वाले स्कूलों का आज ये हाल है। उनकी सारी बुनियाद ही झुठ पर कायम हैं। स्कूल संचालको का दिन रात एक ही फ्रिक में गुजरता हैं। पैसा कैसा बनाया जाएं। विद्या के मंदीर कहलाने वाले स्कूलों में ही सच बच्चों को नहीं सिखाया जाएगा तो बच्चों में सच के अंकूर कहां से फूटेगें।

पहले के जमाने में पैरेट्स और घर के बड़े बच्चों को सिखाते थे बेटा कभी झुठ नहीं बोलना। हमेशा सच पर चलना चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किल आए सच का साथ देना। झुठ का कभी साथ न देना। हमेशा ईमानदारी की राह पर चलना। सच कितना भी कठीन हो आखिर में सच की ही जीत होती हैं। लेकिन आज के पैरेट्स बात-बात में बच्चों को झुठ बोलना सिखाते है। बच्चा छोटा नासमझ है। पापा के किसी दोस्त का कॉल आया तो पापा बच्चे से कहते कह दो पापा घर पर नहीं हैं। यहीं से बच्चे के दिल में झुठ घर कर जाता है।

पहले घर के बड़े बुजूर्ग बच्चों को डराते थे झुठ बोलोगे तो नरक में जाओगे। सच का साथ दोगे तो स्वर्ग में जगह पाओगे। लेकिन आज तो झुठ के साये में ही बच्चों की परवरिश की जाती हैं।

सच इंसान को अपने जीवन में संतोष देता हैं सच बोलने वाला इंसान कभी दुनिया में दु:ख का बोज अपने सीने पर लेकर नहीं चलता हैं। वो रात में भी बीना किसी नींद की गोली लिए सुकून के साथ सोता हैं। सच इंसान को सम्मान दिलाता है। एक सच्चे इंसान का हर कोई सम्मान की निगाह से देखता है। हर कोई इसपर विश्वास भी करता हैं। वही झुठे इंसान से सब डरते है। कभी कोई उसका सम्मान भी करता है। तो सिर्फ डर की वजह से ही करता है।

ये बात सच है। सच्चाई हमेशा झुठ के आगे दव जाती हैं। लेकिन ये मिटती नहीं हैं। झुठ सच्चाई को कितना भी नकार दे एक दिन ऐसा आता है। सच दुनिया के सामने होता हैं।

आज हमारे देश में हम सच्चाई ईमानदारी की तलाश करते है। लेकिन इसका एक धुधला रूप ही हमारे सामने आ पाता है। कहीं न कहीं ये हमारी ही गलती हैं। आज झुठ को हमने अपने अंदर इस तरह से उतार लिया है। सच के लिए हमने कही जगह ही नहीं छोड़ी हैं।

पहले तो झुठ एक व्यक्ति से दूसरे तक ही बोला जाता था। लेकिन आज सोशल मिडिया में इस दौर में झुठ बकायदा राष्ट्रीय पमाने पर बोला जा रहा हैं। इतना ही नहीं लाखों लोग उसका साथ दे रहें हैं। ऐसे में सच कहां तक अपना अस्तित्व बचा पाएगा।

दुनिया में अगर सच को जिन्दा रखना है तो हमेे ज्यादा से ज्यादा सच का ही साथ देना चाहिए। सच का साथ देने में कितनी भी मुस्किले क्यों ना आए सचाई का साथ देने में कभी नहीं डरना चाहिए। भ्रष्टाचार बेईमानी छल कपट का हमको खुलकर विरोध करना चाहिए। किसी के दबाव में आकर कभी भी भ्रष्ट लोगों का साथ नही देना चाहिए। अगर हम खुलकर बुराई का विरोध करेगें तो एक दिन सच के आगे बुराई अपना अस्तित्व खो देगी। क्याकि ये सच है कि कितनी भी कठनाईयों के बाद आखिर में जीत सच्चाई की होती है।

सत्यमेव जयते।

Syed Shabana Ali

Harda (M.P.)