Quit India Movement gave the countrymenEditorial

08 अगस्त 1942 भारत छोड़ो आंदोलन

हम हमारे देश की आजादी के 78 वे स्वतंत्रा दिवस को माने जा रहें हैं। आज हमें मिली जन्म से आजादी का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हम खुली हवा में आजादी के साथ सास लें रहें हैं। और अपने सारे सपनों को पुरा कर रहे है। आजाद भारत में पैदा होने से हमें ये आजादी असानी से मिल गई। लेकिन हमें ये नहीं भुलना चाहिए कि हमारे पूर्वजों ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए कितने संघर्ष किये। कितने लोगों ने आपनी जान गवाई है।

हमारे देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिये 08 अगस्त 1942 के दिन महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। जो देखते ही देखते पूरे देश में फैल गया। और भारत के हर नागरिक ने महात्मा गांधी का साथ दिया। भारत के गांव हो या शहर हर जगह से अन्दोलन ने बड़ा रूप लें लिया। भारत छोड़ों आंदोलन ने भारत में अंग्रेजों की नींव को हिला कर रख दिया।

इस आंदोलन के बाद अंग्रेजों को ये अहसास हो गया था के वो अब भारत में ज्यादा दिन तक अपनी सत्ता कयाम नहीं रख पायेंगे। ये भारत छोड़ों आंदोलन ही था जिसने हर भारतिय के दिल में उम्मीद की एक रोशनी कायम की थी। अब उनकी आंखों में देखा आजादी का सपना पुरा होने वाला है। हर गांव से लेकर हर शहर तक बड़ी बड़ी रैलियां निकली जाने लगी। और देखते ही देखते इस आंदोलन ने इतना व्यापक रूप धारण कर लिया। अंग्रेजों की रूह काप गई। और भारत की जमीन पर अब उनका कदम रखकर खड़ा होना मुश्किल हो गया।

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन वहां था जिसने देशवासियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ जुटने के लिए प्रेरित किया। दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से लेकर मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया तक, देशभर में आंदोलन की आवाज़ गुंज उठी थी।

स्वतंत्रता के लिए जूझती हुई जनता ने उस समय एक नया इतिहास रचने का प्रयास किया। और राहत की सास ली। महात्मा गांधी ने एक अटूट संकल्प के साथ, जो कहा उसने स्वतंत्रता संग्राम को नई राह दे दी। यह शब्द थे करो या मरो। हम या तो भारत को आज़ाद करेंगे या इस कोशिश में मर जाएंगे। अब महात्मा गांधी के सकारात्मक और तर्कपूर्ण विचार ने देशवासियों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक पंक्ति में ला खड़ा कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि आंदोलनकारियों पर कड़ी पुलिस कार्रवाई की गई।

अंग्रेजों ने स्वतंत्रता संग्राम के लगभग सभी शीर्ष नेताओं को जेल में बंद कर दिया। लेकिन बापू तो बापू थे! उन्होंने देश में अंग्रेजों के खिलाफ धधक रही इस ज्वाला को बुझने नहीं दिया। 1942 के इसी बॉम्बे के अधिवेशन में, गांधी जी ने अपने ऐतिहासिक भाषण में भारतीय जनता को एकजुट होने और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने का संदेश दिया। आंदोलन के माध्यम से, उन्होंने ब्रिटिश सरकार को ललकारा कि अब भारतीयों का समय आ गया है अपनी स्वतंत्रता को पूरी तरह से हासिल कर लिया जाए।
आज इस आंदोलन की शुरुआत को 80 साल पूरे हो गए। यहीं वो आंदोलन था जिसने हमारे पूर्वजों ने जो आजाद भारत का सपना देखा था उसे पुरा किया था। भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत से ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था।

इसका तत्कालीन ब्रिटिश सरकार पर बहुत गहरा असर हुआ। और वो इस आंदोलन से जुड़े हर भारतिय का रौद्ध रूप देख खौफ खाने लगें थे। उसने गांधीजी समेत सभी बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया लेकिन इसके बाद भी इस आंदोलन को खत्म नहीं हुआ।

इस आंदोलन को खत्म करने के लिए ब्रिटिश सरकार को एक साल से ज्यादा का समय लग गया। इस आंदोलन को खत्म करने के लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भारतियों पर जमकर कहर ढहाया। आंदोलन का पहला हिस्सा बहुत शांतिपूर्ण रहा। लेकिन आंदोलन का दूसरा हिस्सा अचानक से हिंसक हो गया।
यह भारत की आजादी में सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन में से एक है। दूसरे विश्व युद्ध में उलझे इंग्लैंड को भारत में ऐसे आंदोलन की उम्मीद नहीं थी।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पूरे देश में बड़ी बड़ी रैलियां निकलती थीं। लोगों ने कालेज और नौकरियां छोड़ दीं। देश पूरी तरह से अंग्रेज शासन के खिलाफ हो गया। भारत छोड़ों आंदोलन में ही महात्मा गांधी ने अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया था।

1942 के बाद गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार से विभिन्न मुद्दों पर घेरा। उनसे कृषि प्रणाली में सुधार, गांवों में उपजाऊ उपकरणों की व्यवस्था, और उपयुक्त शिक्षा की मांग की को लेकर सवाल किया गया। देश उनके साथ खड़ा रहा और आखिरकार आजादी लेकर ही दम लिया। भारत छोड़ो आंदोलन ने

देशवासियों को आवाज दी। उन्हें चुनौती का डटकर सामना करने की शक्ति दी और अत्याचारी के आगे न झुकने का हौसला दिया। आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अद्वितीय अध्याय बन गया जिसने देश को स्वतंत्रता की दिशा में नए सपनों और उम्मीदों के साथ आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया।