भारत दुनिया में सबसे अधिक नींबू का उत्पादन करने वाला देश के रूप में जाना जाता है। नींबू एक ऐसा फल हैं जिसका उपयोग हर सब्जियों में स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता हैं। यहां एक खट्टा फल होता हैं। जिसका रस का उपयोग खाना बनाने और पेय पदार्थों में किया जाता हैं।
आमतौर पर नींबू का इस्तेमाल सबसे अधिक खाने में किया जाता है। खाने के अलावा नींबू का इस्तेमाल अचार बनाने के लिए भी किया जाता है। नींबू का उपयोग आजकल कई कॉस्मेटिक कंपनियां और फार्मासिटिकल कंपनियों भी कर रही हैं। इसलिए इसकी मांग बाजारों के अलावा इन ओद्योगिक क्षेत्रों में भी बढ़ गई हैं। इसलिए नींबू की खेती फायदेमंद साबित हो रही हैं। किसान नींबू की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
नींबू में विटामिन सी, साइट्रिक एसिड, फ्लेवोनोइड्स, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, कैल्शियम, तांबा, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम और फाइबर होते हैं। नींबू सहेत के लिए लाभदायक होता हैं।
नींबू की खेती किसान के लिए भी बहुत लाभकारी होती हैें। नींबू एक ऐसा फल हैं, जिसकी मांग पूरे साल बाजारों में बनी रहती हैं। नींबू एक ऐसा फल हैं जिसकी खेती एक बार कर किसान कई सालों तक इससे लाभ कमा सकते हैं। नींबू के पेड़ एक बार लगने के बाद कई सालों तक किसान इससे फल प्राप्त कर सकते हैं। एक बार महेन्त कर हर साल लाभ प्राप्त होता हैं।
नींबू की खेती से किसानों के लिए बहुत फयदेमंद साबित होती हैं। वहीं इसकी खेती अधिक मुनाफे वाली खेती के रूप में जानी जाती है। इसके पौधे एक बार बड़े हो जाने के बाद कई साल तक फल देते हैं। नींबू की खेती करने पर लगत भी कम लगती हैं। इसलिए ये कम खर्च में अधिक मुनाफे वाली फसल कहलाती है। नींबू के पौधों को एक बार लगाने के बाद किसान लगभग 10 से 15 सालों तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
नींबू की खेती के लिए मिट्टी का चयन
नींबू को लगभग सभी तरह की मिट्टियों में आसानी से उगाया जा सकता है। नींबू की खेती करने के लिए हल्की मिट्टी जो अच्छी जल निकास वाली हो अनुकूल होती है। ऐसी मिट्टी में नींबू के पेड़ जल्दी पनपते हैं। नींबू की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5-7.5 होना चाहिए।
नींबू की उन्नत किस्में
भारतीय कृषि संस्थान पूसा ने कागजी नींबू (लाइम) और लेमन दोनों की दो-दो प्रजातियां विकसित की हैं। जहां तक कागजी नींबू यानी लाइम की बात है, तो पूसा उदित, और पूसा अभिनव दो प्रजातियां हैं, इनके फल का समय जुलाई, अगस्त और फरवरी से अप्रैल के बीच का होता है। इस समय आसानी से इसकी खेती की जा सकती हैं। लेमन की दो प्रजातियां पूसा संस्थान ने विकसित की हैं। कागजी कला जो बहुत ही पुरानी किस्म है। और हाल ही में पूसा लेमन वन एक प्रजाति विकसित हुई है, जो लगभग 20 जून के आसपास पककर तैयार हो जाती है।
नींबू की खेती सही समय
नींबू की खेती के लिए जुलाई और अगस्त का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। नींबू के पेड़ों को लगाने के लिए गड्ढे की खुदाई एक घन मीटर की करनी चाहिए। इसके बाद गड्ढे में 10-15 दिनों तक धूप लगने के बाद अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर गड्ढे में डालकर भर देना चाहिए। जैसे ही जुलाई की पहली बरसात होती है आप लाइम और लेमन दोनों का रोपण कर सकते हैं। पेड़ों के बीच की दूरी लगभग 4 से 4.5 मीटर रखना चाहिए। एक से दो साल में नींबू के पेड़ फल देने लगते हैं। पहले साल कम फल लगते हैं। लेकिन साल दर साल इनकी तदात बढ़ती जाती हैं। किसान एक फसल लगाने के बाद दूसरे पेड़ों को भी लगाते रह ताकि नए पेड़ों से हर साल फल प्राप्त किया जा सकें।