Narmadapuram news : लू (तापघात) के प्रभाव, लक्षण एवं प्राथमिक उपचार निम्न तरह से किया जा सकता है मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नर्मदापुरम डॉ. दिनेश देहलवार ने बताया है कि सूर्य दाह के लक्षण त्वचा पर लाल चकता, सूजन, फफोले, बुखार, सिरदर्द आदि है। सूर्य दाह से प्रभावित को प्राथमिक उपचार के रूप में बार-बार नहलाए।
यदि फफोले निकल आएं हो तो स्टरलाइज ड्रेसिंग करें। चिकित्सक का परामर्श ले। इसी तरह ताप के कारण शारीरिक ऐठन के लक्षण में पैरो, पेट की मांसपेसियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफ देह ऐंठन, अत्यधिक पसीना आना है, इसका प्राथमिक उपचार प्रभावित को छायादार स्थल पर तत्काल ले जाए। ऐठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबाए तथा धीरे-धीरे सहलाएं।
प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलाएं। यदि उकबाई आ रही हो, तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएं। इसी तरह से अत्यधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव के लक्षण हैं अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, शरीर ठंडा होना तथा पीला पड़ जाना, सिर दर्द, नब्ज कमजोर पड़ जाना, मूर्छित हो जाना, उल्टी आना, इसके प्राथमिक उपचार के रूप में प्रभावित को छायादार स्थल पर लिटा कर शरीर पर ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें। संभव हो तो उन्हें वातानुकूलित कमरे में ले जाए। प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलाए।
इसी तरह से ताप-दाह (हीट स्ट्रोक) के लक्षण में अत्यधिक बुखार, अत्यधिक गर्म एवं सूखी त्वचा, तेज नब्ज बेहोशी हो सकती है। प्रभावित व्यक्ति को पसीना नहीं आएगा। इसके प्राथमिक उपचार यह अत्यंत चिंताजनक एवं चिकित्सा की दृष्टि से आपात स्थिति है। तत्काल 108 को बुलाएँ तथा प्रभावित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराएँ। एम्बूलेंस आने तक उन्हें किसी शीतल वातानुकूलित स्थान पर ले जाएँ। कपड़ों को ढीला कर आरामदेह स्थिति में लिटाएँ। उनके शरीर पर ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें। किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ पीनें को नहीं दें। आवश्यकतानुसार सीपीआर शुरू करें।
लू (तापघात) से बचाव के लिए निम्न सावधानियां अपनाना चाहिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नर्मदापुरम डॉ. दिनेश देहलवार ने लू से बचाव के लिए आवश्यक सावधानियॉ बरतने की सलाह दी है जिसमें प्रमुख रूप से लू से बचाव के लिए पानी, छांछ, ओ.आर.एस. का घोल या घर में बने पेय जैसे लस्सी, नीबू पानी, आम का पना इत्यादि का सेवन कर तरो-ताजा रहें।
यथा संभव हो तो दोपहर 12 से 03 बजे धूप में बाहर निकलने से बचें। धूप में निकलते समय अपना सिर ढक कर रखें। कपड़े, टोपी अथवा छतरी का उपयोग करें। धूप में निकलने के पूर्व तरल पदार्थ का सेवन करें। पानी हमेशा साथ रखें। शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें। सूती, ढीले एवं आरामदायक कपड़े पहनें। सिंथेटिक एवं गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
जानवरों को छाया में रखें और पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी दें। अत्यधिक गर्मी होने की स्थिति में ठंडे पानी से शरीर को पोछें या कई बार स्नान करें। धूप तथा गर्म हवाओं के संपर्क के तुरंत बाद स्नान न करें। गरिष्ठ, वसायुक्त, ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन तथा अल्कोहल, चाय, काफी जैसे पेय पदार्थ का उपयोग कम से कम करें।