यू खाली हाथ चला था मैं,
पीछे बहुत कुछ छोड़ चुका था मैं,
यादे बस साथ थी तेरी,
तुझे तो खो चुका था मैं,
गम की गहराईयों में यू
डूबती चली गई जिन्दगी मेरी,
मौत से यू पल-पल लड़ चुका था मैं,
ख्वाबों को मेरे यू उम्मीदों का सहारा न मिला
भीगी हुई पलको से जल गया था मैं,
न जाने ये किस मोड़ पर आकर रूक गई थी जिन्दगी मेरी,
या यूही चलते-चलते थक गया था मैं,
सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश