न चाँद न तारे है, बस कुछ ख्वाब पहलू में हमारे हैं,
डर लगता हैं ये भी न बिखर जाए,
बैसहारा जिन्दगी के यही तो जीने के सहारे हैं,
अंधेरी जिन्दगी में चिरांगों को रोशन करके,
कुछ तो है जो हम देखना चाहते थे,
बदली-बदली लगती हैं जिन्दगी की तस्वीर ऐसी,
जैसे बदल गए है जिन्दगी के सारे नजारे है,
न दिन है न रात है। न मुकमल न अधुरी कोई बात है,
बस अरमानों के कुछ फूल ही आ गीरे पहलूू में हमारे हैं,
कैसी खामोशियों में खो गई है जिन्दगी हमारी,
जैसे छुट गए जिन्दगी सारे सहारे है,
न खुशी है न गम है कैसे जख्मों में घिरे हम है,
क्या तड़पने को ही मिले जिन्दगी के दिन सारे है