This is how the series of heartbeats stopping beganGazal

न लगी थी चोट दिल पर ,
जख्म तो निगाहों से हुए थे,

रू-ब-रू आंधियों से थी सासे हमारी,
यूं हुए शुरू धडक़नों के रूकने के सिलशिले थे,

हां आज यूं गमों ने हमारे वाजूद को मिटाने की कोशिश की थी,
खुशियों के रूप में सामने हमारे मौत के कफिले थे,

ताउम्र का दर्द दे गई हमे ये संगदिली बहारों की,
लगी थी ये ऐसी आग जिसमें हम हरपल जले थे,

सोचा न था ये जिन्दगी कभी हमें ऐसे भी आजमाएगी,
अन्जाने में ही हमें शब-ए-गम दे जाएगी,