ऐ मेरी जिन्दगी मेरा सहारा बन,
मैं बिखर न जाऊं जज्बातों के इस भवर में कही,
थाम ले मुझे तू इस तरह से,
मेरी डुबी हुई कस्ती का किनारा बन,
मानता हूं मैं नहीं है तुझपे मेरा हक,
बहुत बेबस हो गया हूं मैं,
आज फिर तू हमारा बन,
ऐ मेरी जिन्दगी मेरा सहारा बन,
कुछ पल के लिए ही सही साथ मेरा दें,
मेरे बिखरे हुए वजूद को अवाज तू दें,
मैं खो न जाऊं जज्बातों के सहेरा में कही,
बिखर न जाए मेरा वाजूद वही,
थाम लें अब तू मुझे यहीं
फिर तू मेरा हम साया बन
ऐ मेरी जिन्दगी मेरा सहारा बन,