तेरी यादों में बस जाऊंगा मैं,
तेरे लफजों में ढल जाऊंगा मैं,
कोई काजल समझ कर न आंखों से चुरा ले मुझे,
आंखों के रास्ते दिल में उतर जाऊंगा मैं,
है नहीं एतबार तो आजमा कर देख लो,
पलको में अपनी छुपा कर देख लो,
ख्वाब बनके निदों में तेरी बस जाऊंगा मैं,
है ये दिवानगी मेरी तुझको मुझसे दूर होने नहीं देती,
अपने अरमानों के साचों में ढाल लो मुझे,
कैसी ये उल्फत है समझ जाऊंगा मैं,
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मुकमल जिन्दगी की अधुरी तलाश हूं मैं,
जो रूक न सके आंखों में वो ख्वाब हूं मैं,
दर्द को मेरा हम साया कहिए,
दर्द की पूरी दास्तान हूं मैं,
खमोशी को मेरा वाजूद कहिए,
लफजों को मेरी आरजू कहिए,
खमोशी की इन्तेहा हूं मैं,
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किसी की आंखों का अधुरा ख्वाब हूं मैं,
जो ढल न सका लफजों में वो जज्बात हूं मैं,
किसी की आंख से आंसू बनके झलकता हूं मैं,
ऐसी गमों से भरी रात हूं मैं,
किसी की जिन्दगी में जख्मों का तस्बूर हूं मैं,
ऐसी दर्द की खुली किताब हूं मैं,
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सैयद शबाना अली