यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती हैं-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी वो है जिन्हे सारी दुनिया बापू कह कर सम्मानित करती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। बापू के जन्मदिवस को पूरा राष्ट्र राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाता है और उनके सत्य व अहिंसा के विचारों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस दिन पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह इस दिन को भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। गांधी जी का अनुसरण केवल भारतीय ही नहीं, दुनियाभर के कई देशों में किया जाता है। गांधी जी के विचारों के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है।
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 का गुजरात के पोरबंदर में हिन्दू परिवार में हुआ। महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी का नाम उनके माता पिता द्वारा मोहनदास रखा गया, जिससे उनका पुरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी हुआ। गांधी जी की माता धार्मिक प्रवृति की थी। अत: उनका पालन पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ।
महात्मा गांधी की अहिंसक नीतियों, नैतिक आधारों, अद्भुत नेतृत्व क्षमता ने और अधिक लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा। उन्होंने सभी धर्मों को एक समान मानने, सभी भाषाओं का सम्मान करने, पुरुषों और महिलाओं को बराबर का दर्जा देने और दलितों-गैर दलितों के बीच की युगों से चली आ रही खाई को पाटने पर जोर दिया। भारत देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सत्य अहिंसा की शिक्षा देने वाले ऐसे पिता हैं। जिसने न केबल शिक्षा दी बल्कि उस मार्ग पर चलकर दिखाया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ऐसे उच्च विचारों के धनी इंसान थे के सदियों तक लोग उनके विचारों से प्रेरणा हासिल करते रहेगें। जो इंसान गांधी जी के विचारों से जुड़ा हुआ है वो अपने जीवन में कभी असफल नहीं होगा। क्योंकि गांधी जी ने इंसान को उस इंसानियत के रास्ते पर चलकर दिखाया जहां पर हर इंसान के लिए सम्मान के साथ जिन्दगी जीने का अधिकार था। उनके विचारों में कभी भी किसी के लिए भेदभाव की भावना नहीं थी। न ही उनके विचार में कोई काम छोटा बड़ा था।
भारत देश कि आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने वाले गांधी जी का जीवन एकदम सादा और सादगी से भरा था। महात्मा गांधी उच्च विचार वाले व्यक्ति थे, उन्होंने अपने जीवन में सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और उस पर चलकर लोगो को भी उन्होने समाज में शांति और सौहर्द से रहने के लिए प्रेरित किया गांधी जी एकदम सादा जीवन व्यत्ति करते थे वो एक धोती पहनते और हाथ में लाठी रखते थे। गांधी जी ने कई यात्राएं पैदल चलकर शांति एवं आहिंसा का संदेश फैलाया भारत देश के लोग उन्हें प्रेम से बापू कहकर पुकारा करते थे। वे गांधी जी को अपने पिता समान समझते थे। हमारा देश गांधी जी के योगदान को सदियों तक याद रखेगा। गांधी जी को लोग बापू, महात्मा गांधी और देश के राष्ट्रपिता के तौर पर जानते हैं।
उनका पूरा जीवन ही हर नागरिक के लिए एक संदेश है, जो सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। उनके आदर्श, अहिंसा का पाठ, सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा ने देश को अंग्रेजों के सामने एक मजबूत संकल्प के तौर पर प्रदर्शित किया था। गांधीजी ने सत्य और अंहिसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यह बात सही है कि गांधी जी भारत की आजादी की लड़ाई में 1915 से सक्रिय हुए। और आजादी की जंग उसके कई दशकों पहले से चल रही थी।
लेकिन गांधी जी की एंट्री ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जबरदस्त जान फूंकी। इतिहास में कई मौके भी आए जब गांधी जी ने अपने मजबूत चरित्र को साबित किया। गांधी जी ने अपनी संपूर्ण अहिंसक कार्य पद्धति को सत्याग्रह का नाम दिया। उनके लिये सत्याग्रह का अर्थ सभी प्रकार के अन्याय, अत्याचार और शोषण के खिलाफ शुद्ध आत्मबल का प्रयोग करना था। जिस देश के खिलाफ उन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, उसी देश ग्रेट ब्रिटेन ने उनकी मृत्यु के 21 साल बाद उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
साल 1930 में उन्हें अमेरिका की टाइम मैगजीन ने मेन आफ द ईयर की उपाधि से नवाजा था।वही महान आविष्कारक अल्बर्ट आइंस्टीन बापू से खासे प्रभावित थे। आइंस्टीन ने कहा था कि लोगों को यकीन नहीं होगा कि कभी ऐसा इंसान भी इस धरती पर आया था।
कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी।यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडियों से एक संदेश प्रसारित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा था।
जब हमारा देश आजाद हुआ तो हर कोई देश में खुशियां मना रहा था। देश की आजादी में भाग लेने वाले नेता देश में उच्च पद हासिल करने की होड़ में लगें थे। लेकिन क्या आप जानते है कि जब 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी तो महात्मा गांधी इस जश्न में नहीं थे। तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे। आजादी की निश्चित तिथि से दो सप्ताह पहले ही गांधीजी ने दिल्ली को छोड़ दिया था। उन्होंने चार दिन कश्मीर में बिताए और उसके बाद ट्रेन से वह कोलकाता की ओर रवाना हो गए, जहां साल भर से चला रहा दंगा खत्म नहीं हुआ था।
गांधीजी ने 15 अगस्त 1947 का दिन 24 घंटे का उपवास करके मनाया था। उस वक्त देश को आजादी तो मिली थी लेकिन इसके साथ ही मुल्क का बंटवारा भी हो गया था। पिछले कुछ महीनों से देश में लगातार हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे। इस अशांत माहौल से गांधीजी काफी दुखी थे।
गांधी जी को 5 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। 1948 में पुरस्कार मिलने से पहले ही उनकी हत्या हो गई। उनकी शवयात्रा में करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख से ज्यादा लोग रास्ते में खड़े हुए थे।
महात्मा गांधी के कुछ विचार
- सत्य ही मेरा ईश्वर है, अहिंसा ही उसे पाने का साधन है।
- व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है।
- अहिंसा सबसे बड़ा कर्तव्य है।
- प्रेम की शक्ति दंड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है।
- जब तक गलती करने की आज़ादी न हो, तब तक आज़ादी का कोई अर्थ नहीं है।
- चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होना चाहिए।
- शांति का कोई रास्ता नहीं है, केवल शांति है।
- कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है।
- ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है।
- धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है।
- गौरव लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में।
- काम की अधिकता नहीं, अनियमितता व्यक्ति को मार डालती है।
- आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
- मेरी अनुमति के बिना कोई भी मुझे चोट नहीं पहुंचा सकता।
- जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है।
- सबसे अच्छे होने के लिए अनंत प्रयास मनुष्य का कर्तव्य है।
- असहिष्णुता सच्ची लोकतांत्रिक भावना के विकास में बाधक है।Syed Shabana Ali
Harda (M.P.)