पावनसिटी समाचार पत्र नर्मदा पुरम
मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम किसान जिले के कलेक्टर के आदेशों की धज्जियाँ उड़ाते किसान, लालच और जिद में खेतों में आग लगाते रहे। पराली जलाने की इस आदत ने मिट्टी, हवा और भविष्य तीनों को खतरे में डाल दिया। धरती पर आग, हवा में धुआँ, और किसानों की जिद ने अब मजाक ही बना डाला है। कलेक्टर के सख्त आदेश, प्रशासन के लाख समझाने-बतलाने के बावजूद बहुत से किसान अब भी पराली जला रहे हैं। यह आग सिर्फ फसल नहीं, हमारे भविष्य और धरती माँ की उम्मीदें भी खा रही है।
कलेक्टर चाह कर भी हर खेत तक नहीं पहुँच पा रही हैं। बेलर मशीन, रोटरवेटर, डिस्क हैरो सब उपलब्ध हैं, मगर किसान भाई पैसे और लालच में इतने फँस गए हैं कि उन्हें न गौ माता की चिंता है, न मिट्टी की उर्वरता की। उनके लिए पराली जलाना आज का आसान काम बन गया, और नियम-कानून की बातें उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंग रही।
आग की लपटें ऐसे फैल रही हैं जैसे किसी ने खेतों में आग लगाने का ठेका ही ले लिया हो। नियम तो तोड़ने वालों के लिए जुर्माना और एफआईआर की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी है, मगर खुलकर आदेशों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
कलेक्टर ने बार-बार कहा — “नरवाई का प्रबंधन आज की नहीं, आने वाली पीढ़ियों की जरूरत है।” मगर किसानों की जिद और लालच के आगे यह बात खोखली साबित हो रही है। किसान समझ नहीं पा रहे कि पराली जलाने से मिट्टी की ताकत खत्म हो रही है, हवा ज़हरीली हो रही है और पशु-पक्षी भी खतरे में हैं।
कुछ समझदार किसान यथासंभव मशीनों का उपयोग कर नरवाई प्रबंधन कर रहे हैं, लेकिन बाकी की संख्या नगण्य है। अगर यही हाल रहा, तो आने वाले समय में खेत तो रहेंगे, पर फसल उर्वरा नहीं रहेगी।
और सुनो भाइयों, गौ माता की हालत भी देखो। वो अब सड़कों पर मारी-मारी फिर रही है। जब तक दूध देती थी, लोग रखते थे, प्यार करते थे। जैसे ही दूध देना बंद कर देती है, वैसे ही कई किसान और लोग उसे छोड़ देते हैं। अब स्वार्थ और लालच का चश्मा पहने इंसान उसे देखकर सिर्फ अपने फायदे की सोचते हैं। यही स्वार्थी रवैया धरती और जीवन के लिए खतरा बन गया है।
धरती माँ जल रही है, हवा में ज़हर फैल रहा है, गौ माता परेशान है, और खुले आम आदेशों की धज्जियाँ उड़ाने वाले किसान भविष्य के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं। प्रशासन भी चेतावनी दे रहा है कि अब कोई नहीं बख्शा जाएगा लेकिन सवाल यही है कि जब किसान खुद आग में और स्वार्थ में अपना भविष्य झोंक रहे हैं, तो कौन उन्हें समझाएगा?

