Farmers cultivating tasty brinjalsBaigan ki khaiti

बैंगन सब्जियों में एक ऐसी सब्जी होती हैं। जिसे हर कोई खाना पंसद करता हैं। लोग बैंगन की सब्जी को इतना ज्यादा शौक से खाते हैं कि उसके आगे हर सब्जी का स्वाद फिका लगता हैं। अपने स्वाद के जायके के लिये प्रसिद्ध बैंगन से कई तरह की डिसेज बनाई जाती हैं। इसलिए मार्केट में बैंगन की डिमांड हमेशा बनी रहती हैं। इसलिए किसान बैंगन की खेती कर के लाभ कमा सकते है। सही तरह से खेती करने से बैंगन की फसल की पैदाबार अच्छी होती हैं। बैगन की खेती पुरे वर्ष होती है।

बैंगन एक ऐसी सब्जी है जिससे कई तरह की स्वादिष्ट रेसिपीज बनाई जाती हैं। भारत में लगभग सभी घरों में बैगन की सब्जी बनती है। बैंगन का भारता का नाम सुनते ही सबके मुंह में पानी आ जाता हैं। भारवा बैंगन भी सब बहुत शौक से खाते हैं। बैंगन को सेहत के लिये भी काफी फायेदेमंद मना जाता है। बैंगन के सेवन से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। बैंगन में एंटी ऑक्सिडेंट, विटामिन के विटामिन बी 6, विटामिन ई, विटामिन सी, प्रोटीन, फाइबर, फोलेट, मैंगनीज, पोटैशियम और काब्र्स जैसे काई पोषक तत्व पाये जाते हैं। जो शरीर को कई लाभ पहुंचाते हैं। इसमें विटामिन ए, बी, सी, कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, लवण काफी मात्रा में पाए जाते हैं। बैगन का उपयोग मधुमेह बीमारी में किया जाता है इसकी वर्ष में कई फसल ली जा सकती है।

बैंगन में मौजूद फाइबर वजन कम करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं। तो बैंगन को अपनी डाईट में शामिल करना चाहिए। बैंगन में विटामिन बी 6 भरपुर मात्रा में पाया जाता है। जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं। विटामिन बी 6 में पाइरिडोक्सिन पानी की तरह घुलने वाली विटामिन है। जो नैचुरल तरीके से बैंगन में मौजूद पॉलीफेनोल शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता हैं। बैंगन से खाने शुगर नहीं बढ़ती है। बैंगन में शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करता है। क्योकि बैंगन में आयरन अच्छी मात्रा में रहता हैं। बैंगन की सब्जी खाने से दिमाग सेहत मंद रहता है।

बैंगन सब्जी एक महत्वपूर्ण फसल है।

बैंगन की उत्पत्ति भारत और चीन के उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में मानी जाती है। चीन के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है जिसमें बैगन की फसल होती है। बैंगन को सभी प्रकार की जमीन पर उगाया जा सकता है। अच्छी पैदावार भूमि, अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि अधिक उपयुक्त होती है। बैंगन के पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5-6.0 के बीच होना चाहिए। 400-500 ग्राम बीज प्रति हेक्टर उचित होता है। बीज बनाने के लिए शरद कालीन फसल अच्छी मानी गई है। बैगन का बीज प्राप्त करने के लिए बैगन के स्वस्थ व पुर्णरूप से पके फलो को तोड़ लेना चाहिए। एक हेक्टेयर बीज वाली फसल से 2 क्विंटल बीज पैदा हो जाता है।

बैगन की खेती के लिए कैसी भूमि चाहिए

बैंंगन की फसल कई महीनों तक जमीन पर खड़ी रह सकती है। बैंगन की खेती करने के लिए जमीन की अच्छी तैयारी की आवश्यकता पढ़ती है। बैंगन की फसल के लिए समतल की गई भूमि में उचित आकार की क्यारिया होती हैं। बैंगन की खेती करने के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए। चार से पांच जुताई देशी हल से करना चाहिए, लेकिन पहली जुताई करने के बाद करनी चाहिए। पाटा का उपयोग करके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए। ऐसा करने से पौधो को दीमक और अन्य कीड़ों से बचाया जा सकता हे।

बैंगन की खेती की खाद उर्वरक

बैगन की खेती की उचित पैदावार के लिए हमें खाद और उर्वरकों का समय पर उपयोग करना जरूरी होता है। बैगन की अच्छी फसल के लिए मात्रा में प्रति हेक्टर खाद व उर्वरक देना चाहिए। गोबर का खाद 200-250 क्विंटल, नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, फास्फोरस,50 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम लेना चाहिए।

पशुओं के गोबर से बनी खाद तैयार करते समय रोपाई से 20-21 दिन पूर्व डालकर मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें। नैटोजेम की आधी मात्रा व फास्फोरस व पोटाश की पूर्ण मात्रा पौधे रोपने से पूर्व आखिरी जुताई के समय मिट्टी में मिला दे। शेष आधी नैटोजेम की मात्रा 2 बार में रोपाई के 30 व 60 दिन बाद डाले। ध्यान रहे कि उर्वरक पत्तियों पर न डालें।

बैगन की फसल ये अच्छी पैदावार लेने के लिए इसे गर्म मौसम में लगाया जाता है। ठंड के मौसम में कम तापमान होने के कारण बैंगन की फसल अच्छी नहीं होती हैं। बैगन के पौधे नर्सरी में डालते समय 25 डिग्री से अधिक तापमान होना चाहिए। जिससे बीजों का अंकुरण अच्छा हो। वो तेजी के साथ विकास कर सकें। अगर 15 डिग्री से कम तापमान होगा तो पौधे पर फूल बनना बंद हो जाता है। अगर तापमान 18 डिग्री हो तो इसकी रोपाई नहीं करनी चाहिए। लम्बे फल वाली किस्मों की अपेछा गोल फल वाली किस्मे पाले के लिए सहनशील होती है। दूसरी किस्मों में अधिक पाले के कारण पौध मर जाते हैं।

लेकिन सबसे उपयुक्त समय अगस्त, सितंबर है। फरवरी और मार्च में भी लगा सकते है। बैगन के बीज, इंडो अमेरिकन, पूसा अनमोल, पूसा श्यामल आपको वैरायटी मिल जाएगी। सेमिनीस, नामधारी, पूसा हाईब्रिड-6 इत्यादि आपको वैरायटी मिल जाएगी।बैगन की खेती से पैसे कमाने के लिए हाइब्रिड खेती करनी चाहिए। हाइब्रिड बैगन का बीज लगाने से इसमें रोग और कीट बहुत कम लगते है। इस बीच से उत्पादन अधिक होता है।

बैगन की खेती कब की जा सकती हैं

बैगन की बुवाई साल में तीन बार की जाती है। बैंगन की खेती जुन, जुलाई, अक्तूबर, नवंबर, फरवरी, मार्च में बुवाई करने का सही समय होता हैं। सितम्बर, अक्तूबर, फरवरी, मार्च, जुन, जुलाई में फल मिलाने का समय है। बैंगन को बारिश के महीने में नहीं लगाना चाहिए। बैगन बरसात के दिनों में पौधों में कड़ें लग जाते हैं। अगस्त और सितंबर में बैगन लगाए। फरवरी में बैंगन की पैदावार अच्छी होती हैं। जिससे किसान लाभ कमा सकते हैं।

पौधे की देखभाल

बैगन के पौधे की देखभाल समय पर खरपतवार निकालते रहना चाहिए। इसके अलावा बैगन में हमेशा हल्की सिंचाई करनी चाहिए। क्योंकि अधिक सिंचाई करने से भी बैगन की फसल में रोग लग जाते है।

बैंगन की खेती में सिंचाई

बैन की खेती के लिए सिंचाई भूमि की किस्म और मौसम पर निर्भर करता है। खरीफ की फसल में सिंचाई वर्षा पर निर्भर करती है। वर्षा का अधिक होने पर प्राय सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। गर्मियों में 7 से 8 दिन के अंतर से व सर्दियों में 10 से 12 दिन के अंतर से सिंचाई करने की आवश्यकता होती है।

बैगन की तुड़ाई

किसान के करीब अगर मंडी है तो ऐसी स्थिति में बैगन की तुड़ाई सुबह करके मंडियों में बेच देनी चाहिए। परंतु यदि मंडी गांव से बहुत दूर है तो तुड़ाई शाम के वक्त को करनी चाहिए। बैगन की तुड़ाई 3 दिन के अंतराल पर होनी चाहिए। क्योंकि देरी से तुड़ाई करने पर बैगन का रंग हल्के होने लग जाते हैं और मंडियों में इनकी कीमत बहुत कम होती है।

स्टोरेज कैंसे करें

बैगन के पौधे से बैगन की तुड़ाई के बाद सबसे पहले उनकी अच्छे से छंटाई कर लेनी चाहिए। इसके तुरंत बाद इन्हें दूर मंडियों में ले जाना हो तो इन्हें जूट की बोरियों में भरकर पानी से भिगा देना चाहिए। बैगन को कागज के मोटे कार्टून में भरकर पैक कर देना चाहिए।

सफेद मक्खी से कैसे बचाएं फसल

यह बहुत छोटे-छोटे सफेद रंग के होते हैं। यह पत्तियां से रस तो चूसते हैं साथ ही वायरस भी फैलाते हैं। बैगन की फसल को बचाने के लिए रोगार 1.5 एमएल प्रति 15 लीटर पानी में घोल तैयार करके स्पे्र करना चाहिए।

झुलसा रोग बैगन की खेती

बैगन की फसल को झुलसा रोग बचाने क लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले यह बात ध्यान में रखनी जरूरी है कि यह रोग सर्दी में लगता है। जब तापमान बहुत कम हो। यह फफूंद के कारण होता है। इसके प्रकोप से पत्तियां झुलस जाती है। इस रोग से बचने के लिए मेरिवान 10 एमएल प्रति 15 लीटर पानी या लूना 15 एमएल लीटर साफ पानी में मिलाकर छिडक़ाव बैगन की फसल पर करना चाहिए।
फल और तना छेदक बीमारी

बैगन की फसल में यह सबसे खतरनाक बीमारी होती है। यह एक इल्ली के कारण होती है। यह बैगन की मुलायम टहनियों में छेद करती है। उसके बाद जब फल लगते हैं तो उसमें भी छेद करती है। इस बीमारी से बैगन की पैदावार पर बुरा प्रभाव पढ़ता है।इससे बचने के लिए डेलिगेट 1एमएल दवा को 15 लीटर पानी या एके-57 प्रति 1 टंकी में घोल बनाकर स्पे्र करना चाहिए।

ठंड से कैसे बचाए

रात के समय बैंगन की सब्जी की फसलों को पॉलीथिन से ढक दे। सुबह उन्हें हटा दें ताकि उनकी फसल ठीक रहे।