चित्रक एक झाड़ीदार औषधीय पौधा होता है। चित्रक एक महत्वपूर्ण और फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि है। ये अनेक औषधीय गुणों से भरपुर होता है। अपने अंदर समेटें अनेक औषधीय गुणों के कारण चित्रक की बाजार में डिमांड हमेशा बनी रहती है। इसलिए किसानों के लिए चित्रक की खेती फायदे का सौदा सावित हो सकती हैं। कम लागत में किसान चित्रक की खेती आसनी से कर सकते है। चित्रक एक सदाबहार झांड़ी होती है। इसका पौधा हमेशा हरा-भरा रहता है। इस पौधे की जड़ गठीली और तने कठोर, गोलाकार होते है। चित्रक एक झाड़ीदार औषधीय पौधा होता है।
औषधीय रूप से यह उपयोगी होता है। पौधे की जड़ और जड़ की छाल के उपयोग से विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों की तैयार की जाती हैं। चित्रक एक शक्तिशाली औषधीय है जिसका उपयोग जिद्दी पुरानी संधिशोथ, त्वचा रोगों और ट्यूमर के विकास को रोकने में किया जाता है।
चित्रक एक झाड़ीदार औषधीय पौधा होता है।
आयुर्वेद के अनुसार चित्रक के पत्तियों और जड़ों को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह स्वाद में तीखा और कड़वा होता है और इसकी तासीर गर्म होती है। चित्रक को पाचनतंत्र विकार, बवासीर और त्वचा संबंधित चर्मरोग के लिए मुख्यत: उपयोग किया जाता है इसके अलावा भी इसे भिन्न-भिन्न बिमारियों में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चित्रक में एंटी-डायबिटिक गुण होता है। यह रक्त में शर्करा का स्तर कम करने के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से डायबिटीज की समस्या को दूर किया जा सकता है।
अपने अनेक औषधिक गुणों के कारण चित्रक एक बाहुमूल पौधा होता हैं। इसलिए किसान इस पौधे की खेती कर के लाभ कमा सकते हैं। चित्रक के पौधे की पत्तियों और जड़ों से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसलिए चित्रक की खेती पर राष्ट्रीय औषधीय पादक बोर्ड किसानों का 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देता है। इससे किसानों को चित्रक की खेती करना असान हो जाता हैं। अधिकरत लोग चित्रक के पौधे को पहचानते है। लेकिन उसके औषधिक गुणों की जानकारी सभी को नहीं होती है।
चित्रक का पौधा गहरी नालीदार रेतली व चिकनी मिट्टी युक्त जमीन में उगाया जाता है। ऐसे किसान जिनके पास ऐसी जमीन हो वो आसानी से इसकी खेती कर लाभ कमा सकते हैं। इस पौधे की वृद्धि के लिए आर्द्र स्थिति उपयुक्त नहीं होती है। चित्रक का पौधा कलम और बीजों से आसानी से लगाया जा सकता हैं। पकी फसल से मार्च-अप्रैल महीने में कलम एकत्र की जा सकती है। जिनकी लंबाई लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर तक हो और प्रत्येक में कम से कम तीन गांठ हो।
चित्रक के पौधे को शीघ्र तैयार करने के लिए इसके काटे गए टुकड़ों को अकुरित करने के लिए 500 पी.पी.एम पाट्र्स पर मिलियन नेप्थलीन एसेटिक का उपयोग किया जाता है। इन टुकड़ों को बरसात के मौसम में 24 घंटे के अंदर तैयार क्यारियों में बो दिया जाता है। क्यारियों का आकार 10 गुना 1 मीटर होना चाहिए। चित्रकों को किसान बड़े पेड़ों के नीचे भी उगा सकते हैं। क्योंकि चित्रक के पौधों कम धुप की जरूरत होती है। चित्रक के पौधों को क्रम अनुसार बोया जाना चाहिए। इसमें 5 सेंटीमीटर का अतंर होना चाहिए। एक हेक्टर जमीन के लिए लगभग 80 हजार अंकुरित कलमों या पौधें की जरूरत होती है। अगर खेत में फसल की पैदावार अच्छी हो तो किसान चित्रक के पौधे से 12 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टर पैदावार पा सकते हैं।
चित्रक के पौधे को एक वार उगाने के बाद इसे नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। चित्रक के टुकड़ें नर्सरी में अंकुरित होने में एक महीने का समय लेते है। जुलाई के महीने में इन अंकुरित जड़ों को खेतों में लगाया जाता है। बीजों को मार्च के महीने में पॉलीबैग में बोया जाता है। जिसमें रेत, मिट्टी की बराबर मात्रा का मिश्रण तैयार किया जाता है। 10 से 12 दिनों में बीजों से अंकुर निकल आते हैं। जिन्हें बाद में खेतों में बोया जाता है।
चित्रक एक ऐसा पौधा होता हैं। जिसे फलदार पेड़ों के निचे भी उगाया जा सकता है। चित्रक की खेती अमरूद, आम, नींबू , संतरा जैसे पेड़ों के बीच की जा सकती है। इसे मेलिया अरबोरिया, ओरोजाइलम इंडिकम या अन्य औषधीय पेड़ों के साथ भी उगाया जा सकता है। पौधे लगने के एक महीने बाद अगस्त के महीने में पहली बार पौधे से खरपवार निकालने के लिए गुड़ाई की जाती है। दूसरी और तीसरी गुड़ाई अक्टूबर और दिंसबर में की जाती है।
फसल की कटाई से पूर्व मई के महीने में पौधे की काट छाट की जाती है। फसल की सिंचाई 4 से 5 बार नंवबर जनवरी, मार्च, अप्रैल और मई मे करना चाहिए। बहते पानी की सिंचाई में प्रत्येक बार 2 सेमी. तक पानी रहना चाहिए। खेत में पौधे लगाने के बाद 10 से 12 महीनों में फसल तैयार हो जाती है। किसान चित्रक की खेती कर आसानी से लाभ कमा सकते हैं। अपने औषधिक गुणों के कारण इसकी डिमांड बाजार हमेशा बनी रहती है। साथ में किमत भी अच्छी मिलती है। इसलिए चित्रक की खेती किसानों के लिए लाभ का धंधा कहलाती हैं।