अरब और अफ्ऱीकी देशो को खजूर के पौधों का मुख्य उत्पादक देश है, और यहीं से ही पूरे विश्वभर में खजूर का निर्यात होता है। विश्व में ईरान को सबसे अधिक खजूर का उत्पादन वाला देश माना जाता है, वर्तमान समय में कुछ उच्च तकनीकों का उपयोग खजूर की खेती भारत के कुछ राज्यों में जलवायु के हिसाब से की जा रही है।
खजूर पृथ्वी का सबसे प्राचीन वृक्ष हैं। खजूर के सूखे हुए फलों से पिंडखजूर तथा फलों को सूखाकर छुहारो को बनाया जाता है। खजूर सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता हैं। खजूर में कई तरह पोषक तत्व पाए जाते है। जिसकी वजह से यह सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता हैं। ड्रॉक्टर द्वारा भी कई रोगों में उसको खाने की सलह दी जाती हैं। यह शरीर में खून की कमी को दूर करता हैं। खजूर की खेती कर इंसान कई बीमारियों से बच सकता हैं। इसका नियमित सेवन कर इंसान ब्लड प्रेशर, दिल की बिमारी, कैंसर, पेट और हड्डियों से सम्बंधित बीमारियों का बच सकता है। खजूर एक ऐसा फल है, जिसमें पौष्टिक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। 1 किलो खजूर में 3000 किलो कैलोरी होती है। इसके अलावा, यह विटामिन बी2, सी, पोटैशियम, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीशियम, क्लोरीन, फॉस्फोरस, सल्फर और आयरन आदि का भी बेहतरीन स्रोत हैं।
खजूर एक बहुत ही लाभकारी फल होता है, जिसका पौधा 15 से 25 मीटर ऊँचा होता है। खजूर की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है। क्योंकि कठोर भूमि में इसकी खेती नहीं की जा सकती है। खजूर एक शुष्क जलवायु का पौधा होता हैं। इसलिए इसके पौधों को अधिक वर्षा की जरूरत नहीं होती है। मरुस्थलीय क्षेत्रों में इसकी खेती को आसानी से किया जा सकता है। खजूर के पौधे तेज धूप में तेजी से बड़ते है। इसलिए ठन्डे प्रदेशो में इसकी खेती को नहीं किया जा सकता है। खजूर के पौधों को अच्छे से वृद्धि करने के लिए 30 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती हैं। इसके फलों के पकने के दौरान इसे 45 डिग्री का तापमान चाहिए होता है।
खजूर उच्च उत्पादकता के लिए उगाया जाता है और मरुस्थलीय इलाके में इसकी खेती से पर्यावरण को भी काफी फायदा होता है। रोजगार के अवसर पैदा करने और ग्रामीण इलाकों में किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में खजूर की खेती मददगार है।
वर्तमान समय में खजूर की कई उन्नत किस्में बाजार में मौजूद है, जिन्हे जलवायु और पैदावार के हिसाब से उगाया जा रहा है। इन उन्नत किस्मो को नर और मादा दो प्रजातियो में बांटा गया है। इस मादा प्रजाति की उन्नत किस्म को फल देने के लिए उगाया जाता है।
खजूर के पौधों की रोपाई कब और कैसे करें।
खजूर की बुवाई बीजों की जगह पौधों की रोपाई करना बेहतर होगा। क्योकि बीजों से पौधा तैयार होने में ज्यादा समय लगता है वहीं अगर खजूर के पौधों कि रोपाई कि जाए तो पौधे जल्दी बडऩे लगते है। इसलिए खजूर की रोपाई करने के लिए पौधों को किसी सरकारी नर्सरी से खरीद लें। इसके पौधों को खरीदते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें की पौधे बिलकुल स्वस्थ पौधों में किसी प्रकार का रोग न हो। खजूर के पौधे सरकारी नर्सरी से खऱीदने पर सरकार द्वारा 70 प्रतिशत तक का अनुदान भी दिया जाता है। खजूर के पौधों को लगाने से पहले गड्डों को तैयार कर लेना चाहिए। गड्डो के बीच में 6 से 8 मीटर की दूरी होना आवश्यक है। इन गड्डो के बीच में एक छोटा सा गड्डा तैयार कर पौधों की रोपाई की करें। खजूर के पौधों की रोपाई के लिए अगस्त के महीने को बेहतर माना जाता है। एक एकड़ के खेत में तकऱीबन 70 खजूर के पौधों की रोपाई की जा सकती है।
खजूर पौष्टिकता से भरपूर होता है। खजूर को बीज से भी लगाया जा सकता है या फिर कटिंग्स यानी शाखा से भी लगया जा सकता है। जब बीज से इसे उगाया जाता है तो मादा पौधे होने की संभावना 50 प्रतिशत होती है, जबकि शाखा से उगाने पर आमतौर पर पौधों में उसी पेड़ के गुण आते हैं, जिसकी वह शाखा है। शाखा से उगाएं पौधे के जीवित रहने की संभावना हमारे देश में बहुत कम रहती है। इसलिए भारत में खजूर की खेती में टिशू कल्चर मेथड से की जाती है। इस तकनीक से खजूर की खेती में पौधें स्थिर रहते हैं और गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
खजूर के खेत की तैयारी और उवर्रक की मात्रा
खजूर की खेती के लिए रेतीली और भुरभुरी मिट्टी की जरूरी होती है। खजूर की फसल लगाने से पहले इसके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें। खजूर की रोपाई से पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई करनी चाहिए। जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ देना चाहिए। कुछ समय पश्चात खेत में कल्टीवेटर के द्वारा दो से तीन बार जुताई करना चाहिए। जिससे खेत की मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाना चाहिए। खेत की मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के बाद उसमे पाटा लगाकर चलवा दे, जिससे खेत की मिट्टी बराबर हो जाए। ताकि खेत में जल-भराव न हो सकें।
खजूर के पौधों कि रोपाई
अब खेत में एक मीटर की दूरी के अंतरात पर व्यास वाले गड्डो को तैयार कर लें। इन गड्डो में 25 से 30 किलो पुरानी गोबर की खाद को डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए। इसके अलावा खाद के रूप में फोरेट या कैप्टान की उचित मात्रा को भी गड्डो में डाल देना चाहिए। उवर्रक और खाद की मात्रा देने के बाद गड्डो की सिंचाई करें। खजूर की रोपाई के लिए गड्डो को एक महीना पहले से तैयार कर लेना चाहिए। रासायनिक खाद के रूप में प्रति एकड़ के हिसाब से यूरिया की चार किलो मात्रा को वर्ष में दो बार देना चाहिए।
खजूर के पौधों की सिंचाई
खजूर एक शुष्क जलवायु का पौधा होता है इसलिए खजूर के पौधों को बहुत ही कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में इन्हे 15 से 20 दिन की पानी देना चाहिए, वही सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को महीने में केवल एक बार ही सिंचाई की जरूरत पढ़ती है।
खजूर के पौधों में खरपतवार नियंत्रण
खजूर के पौधे 6 मीटर की दूरी पर रोपे जाते है। इसलिए इसके खेत में 5 से 6 गुड़ाई की आवश्यकता होती है। इसके खेत में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई और गुड़ाई की जानी जरूरी होती है। खरपतवार नियंत्रण से पौधे अच्छे से विकसित हो पाते है और फलों के उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
खजूर में दीमक रोग
खजूर के पौधों में दीमक रोग होता है जो पौधों की जड़ो पर हमला कर पौधों को पूरी तरह नष्ट कर देता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास की उचित मात्रा पानी में मिलाकर पौधों की जड़ो में डालनी चाहिए।
पक्षियों का हमला
खजूर के पौधों पर जब फल लगने लगते है तब पक्षियों का खतरा बड़ जाता है। पक्षी पौधों पर लगे फलों को कुतर कर नुकसान पहुंचाते है। जिसका खजूर की पैदावार पर असर पढ़ता है। पक्षियों के हमले से पौधों को बचाने के लिए पौधों पर जाली लगा देना चाहिए। जिससे पक्षी फलो को नुकसान नही पहुंचा पाएगें।
खजूर के फलों की पैदावार और लाभ
खजूर का पौधा रोपाई के 3 वर्ष बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं। जब इसके फल पक जाते है, तब इसके फलों की तुड़ाई तीन चरणों में की जाती है। पहले चरण की तुड़ाई में इसके ताजे और पके हुए फलों की होती है। दूसरे चरण में इसके नर्म फलों की तुड़ाई की जाती है। अंतिम चरण में फलों के सूख जाने के बाद तुड़ाई की जाती है, जिसका इस्तेमाल छुहारों को बनाने में किया जाता है।
खजूर की खेती में कम खर्चा होता है। खजूर के पौधा पांच वर्ष बाद पूर्ण रूप से तैयार होने पर उससे 70 से 100 प्रतिशत खजूर की पैदावार होती हैं। एक एकड़ के खेत में तकऱीबन 70 पौधे लगाए जाते है, जिससे इसकी एक बार की फसल से 5,000 ्यत्र की पैदावार प्राप्त होती है। खजूर बाजार में बहुत महंगें भाव बिकती हैं। जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों को 5 वर्षो में दो से तीन लाख की का मुनाफा प्राप्त होता हैं।