पावनसिटी समाचार पत्र हरदा

तीन दिवसीय जननायक गौण्ड इतिहास की नृत्य नाट्य प्रस्तुतियां समारोह का हुआ शुभारम्भ
संस्कृति विभाग के कलाकारों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियां
मध्य प्रदेश शासन द्वारा पूरे प्रदेश में बिरसा मुंडा सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जा रहे हैं जिसमें हरदा जिले में भी  गौण्ड जनजातीय समुदाय के चरित्र एवं ऐतिहासिक नायकों पर केन्द्रित जननायक गौण्ड इतिहास की नृत्य नाट्य प्रस्तुतियों के तीन दिवसीय समारोह का शुभारम्भ  शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज हरदा में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा भारत माता एवं बिरसा मुंडा की फोटो पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया। कार्यक्रम में  रामचन्द्र सिंह एवं उनके दल ने वीरांगना रानी दुगार्ववती के चरित्र को प्रदर्शित करने वाले नृत्य नाट्य की रंगारंग प्रस्तुतियां दी।
वीरांगना रानी दुर्गावती नृत्य नाट्य में बताया कि कालिंजर के राजा महाराज कीर्ति सिंह चंदेल की पुत्री दुर्गावती का विवाह गढ़ा के गोण्ड राजवंश के महाराज संग्राम सिंह के पुत्र दलपत शाह से हुआ। दलपत शाह और दुर्गावती दोनों ही अस्त्र-शस्त्र शिक्षा में पारंगत थे, साथ ही दोनों धार्मिक और जनहित के कार्यों में भी रुचि लेते थे। रानी को एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम वीर नारायण रखा गया। पुत्र अभी छोटा ही था कि दलपत शाह का निधन हो गया। गद्दी पर वीर नारायण को बिठाया गया, लेकिन राजकाज रानी देखती रहीं। मुगल सम्राट अकबर दुर्गावती के सौंदर्य और बहादुरी के चर्चे सुन चुका था और गढ़ा राज्य को अपने अधीन करना चाहता था। इस हेतु उसने रानी को एक सोने का पिंजरा भिजवाया। रानी पिंजरा भेजने का आशय समझ गईं और उन्होंने जवाब में उतने ही वजन का सोने का पिंजरा भिजवाया, जिसे जुलाहे लोग काम में लाते हैं। अकबर पिंजरा देखकर आगबबूला हो गया और उसने अपने सूबेदार आसिफ खां को हमला करने के लिए हुक्म जारी कर दिया। पहले हमले में आसिफ खां ने शिकस्त खाई, लेकिन लगातार दूसरे हमले में रानी बहादुरी के साथ लड़ती हुई वीरगति को प्राप्त हो गईं। चौरागढ़ के किले में उनके किशोर वय के वीर पुत्र वीर नारायण भी लड़ते हुए शहीद हुए। किले के अंदर की सैकड़ों महिलाओं ने जौहर कर लिया। मातृभूमि की रक्षा करने के लिए महारानी दुर्गावती का बलिदान हमारे सामने एक ऐसा आदर्श उदाहरण है, जो हजारों वर्ष तक समस्त भारतवासियों को देश के लिए मर-मिटने की प्रेरणा देता रहेगा।
कार्यक्रम में विधायक हरदा डॉ. आर.के. दोगने, जिला पंचायत अध्यक्ष गजेन्द्र शाह, पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल, कलेक्टर  सिद्धार्थ जैन, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती अंजली जोसेफ, जिला पंचायत सदस्य  ललित पटेल, संयुक्त कलेक्टर  सतीश राय सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि व नागरिक उपस्थित थे।
कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने बताया कि जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा गौण्ड जनजातीय समुदाय के चरित्र एवं ऐतिहासिक नायकों पर केन्द्रित जननायक गौण्ड इतिहास की नृत्य नाट्य प्रस्तुतियां समारोह के आयोजन के लिये गौण्ड शासकों द्वारा स्थापित 52 गढ़ों में से 30 गढ़ों पर उनके ही चरित्र पर ऐतिहासिक नायकों पर केन्द्रित तैयार नृत्य नाटिकाओं के प्रदर्शन कराने का निर्णय लिया गया है। उन्होने बताया कि संस्कृति विभाग के दल द्वारा 11 नवम्बर को राजा हीराखान सिंह के चरित्र को प्रदर्शित करने वाले नृत्य नाट्य तथा 12 नवम्बर को राजा पेमल शाह के चरित्र को प्रदर्शित करने वाले नृत्य नाट्य की प्रस्तुतियां दी जाएगी।
बांस शिल्पकार एवं स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की लगी प्रदर्शनी
मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर पॉलिटेक्निक कॉलेज सभाकक्ष में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में ग्रामीण एवं शहरी आजीविका मिशन द्वारा गठित महिला स्व सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। वन विभाग द्वारा निर्मित एक जिला एक उत्पाद के तहत बांस की प्रदर्शनी लगाई गई।