तलाक़ के मुकदमे की पहली पेशी थी। वकील बोला ” जज साहब ये जो मासूम औरत कटघरे मे खड़ी है बेहद घटिया और चरित्रहीन किस्म की औरत है।
” इतना सुनते ही दिपेश खड़ा होकर बोला ” ये क्या बक रहे हो वकील साहब।
माना की हम अलग हो रहे है आपस मे बहुत मतभेद है मगर मेरी पत्नी पर इतने घटिया लान्छन मत लगाओ। हमने पांच साल साथ गुजारें है।
मै जानता हूँ ये एक चरित्रवान नारी है।” उसके इतना कहते ही कोर्ट मे सन्नाटा छा गया।
दिपेश का बड़ा भाई जो उसके करीब ही बैठा था उसने दिपेश का हाथ पकड़ कर बैठाया और धीरे से कहा” कोर्ट की प्रक्रिया है।
तू बीच मे मत बोल।” उधर कटघरे मे खड़ी सिलोचना की आँखों से आंसू निकल पड़े। वह रोने लगी।
दिपेश खड़ा हुआ और दहाड़ता हुआ बोला ” सात फेरे लेते समय सौगंध खाई थी कि मरते दम तक इसके मान, सम्मान की रक्षा करूँगा।
अगर लान्छित करके तलाक़ होता है तो मुझे तलाक़ नही चाहिए जज साहब।”
वह उठ कर जाने लगा तो पीछे से सिलोचना की आवाज आई ” रुको मै भी चलती हूँ।
” फिर उसने दौड़ कर पति का हाथ पकड़ा और दोनों कोर्ट से बाहर चले गए।
पिछले एक साल से रिश्ता तुड़वाने मे लगे दोनों के रिश्तेदार कोर्ट मे बैठे रह गए।
कहानी :-समय पड़ने पर पत्नी की अस्मिता की रक्षा करने वाला ही असली मर्द होता है।