story lessonStory Shikva

बारिश का सुहाना मौसम था सुनैना का ऑफिस से घर जाने का वक्त हो गया था। इसलिए वो थोड़ा रिलेक्स फील करने के लिए अपने ऑफिस की बालकनी में खड़ी हो गई। आसमान पर काले-काले बादल छाए हुए थे। ठंडी-ठंडी हवा भी चल रही थी। मन को महो लेने वाला मौसम था। सुनैना काले-काले बादलों को देखकर मुस्कुरा रही थी। फिर उसने अपने दोनों हाथों को फैला लिये और आंख मुंझ कर ठंडी-ठंडी हवा को अपने अंदर तक उतरते हुए महसूस करने लगी। वो बहुत खुश थी। मुस्कुरा रही थी।

इतने में पीछे से आकर एक बच्ची ने उसका दुपट्टा खीचकर कहा ममा..। सुनैना ने चौककर आंखे खोली और पीछे पलट कर देखा तो एक परियों सी सुन्दर बच्ची उसके सामने खड़ी थी। सुनैना उसको देखकर मुस्कुराने लगी। लेकिन सुनैना को देखकर बच्ची थोड़ी परेशान थी। सुनैना बच्ची के पास बैठ गई और कहा कितनी क्यूट हो आप क्या नाम है आपका?

बच्ची कुछ कह पाती इतने में किसी की अवाज ने सुनैना को चौका दिया। सुनैना..। बच्ची दोडक़र उस के पास चली गई पापा..। सुनैना के लिए ये आवाज कुछ जानी पहचानी सी थी। सालों बाद वो इस अवाज को सुन रही थी।

सुनैना ने नजरे उठाकर देखा। राजीव तुम यहां? सॉरी मैं आपको नहीं जानता हूं। चलों बेटा सुनैना। सुनैना राजीव से कुछ और कहती इतने में वहां रंजीता आ गई। उसने सुनैना को गोद में लेकर कहा मेम ये मेरी बेटी सुनैना है। और ये मेरे हसबैंड राजीव। सुनैना हैरानी से राजीव की तरफ देख रही थी। और सोच रही थी राजीव ने शादी कर ली हैं। उसकी एक बेटी भी हैं। और मैं दिवानी आज तक ओ नो..।

सुनैना उनसे कुछ कहती इससे पहले ही राजीव रंजीता और बच्ची को लेकर चला गया। अब सुनैना की आंख में आंसू थे। वो एक बार फिर अपनी आंसू भरी पलकों से राजीव को अपने से दूर जाते हुए देखती रही। वो पुरी तरह से सुन सी हो गई थी। जैसे उसके जिस्म में जान ही न रही हो।

इतने में सुनैना के ड्रॉयवर ने आकर कहा दीदी घर चल रही हैं न आप? बादल बहुत हो रहे है। ऐसा लग रहा है थोड़ी देर में बहुत तेज बारिश होने वाली हैं। अपनी जिन्दगी में टुटी हुई उम्मीदों के बिखरे हुए साये में सुनैना आकर कार में बैठ गई। और कार से बहार छाएं बादलों को देखने लगी। और पुरानी यादों में खो गई।

उसे आज भी वो दिन याद है। जब वो पहली बार राजीव से मिली थी। सुनैना और राजीव दोनो एक साथ कॉलेज में पढ़ते थे। साथ पढ़ते हुए उसे इस बात का एहसास हुआ था। राजीव एक बहुत ही अच्छा लडक़ा है। वो पढ़ाई मैं भी बहुत ही इंटेलीजेंट है। वो हमेशा अपनी पढ़ाई में ही अपना पुरा ध्यान लगता है। उसे अपनी पढ़ाई के अलावा दुनिया में किसी बात से कोई मतलब नहीं है। लेकिन वो ऐसा है मुसीबत के वक्त किसी की मदद करने में सबसे आगे रहता है। वो बहुत ही नेकदिल इंसान है जो किसी की आंखों में कभी आंसू नहीं देख सकता है। अपने से ज्यादा दूसरे की खुशियों के लिए अपनी जिन्दगी जीने वाला लडक़ा है वो।

राजीव की अच्छाईयों को देखकर सुनैना धीरे-धीरे राजीव की तरफ खिचती ही चली जा रही थी। लेकिन राजीव इस बात पर कभी ध्यान नहीं देता। लेकिल एक दिन एक छोटे से हादसे ने सुनैना और राजीव को एक दूसरे के करीब ले आया। सुनैना उस दिन अपनी कार से घर जा रही थी। अचानक उसकी कार का ऐक्सीडेंट हो गया। और सुनैना बेहोश हो गई।

इतेफाक से उस दिन राजीव का भी उसी रास्ते से गुजरना हुआ उसने सुनैना को देखा और उसे तुरंत हॉस्पिटल लेकर गया। और जब तक सुनैना हॉस्पिटल में रही राजीव रोज उससे मिलने आता। राजीव उसकी इतनी केयर करता है। सुनैना उसके और करीब आते गई।

अब सुनैना और राजीव अच्छे दोस्त बन गए थे। धीरे-धीरे एक दूसरे के साये में रहकर जिन्दगी की राह पर चलते हुए दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला। अब वो दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह पाते थे। राजीव भी अब सुनैना से प्यार करने लगा था। दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। लेकिन राजीव डरता था।

सुनैना से सच कहने से क्योंकि राजीव एक बहुत ही गरीब परिवार से था। बामुश्किल महेन्त करके वो अपनी पढ़ाई पुरी कर रहा था। उसके पुरे परिवार की जिम्मेदारी भी उसके ऊपर ही थी। वो पढ़ाई के साथ जॉव भी करता था। ताकि अपनी जिम्मेदारियों बखूबी निभा सकें। ऐसे हाल में वो सुनैना से शादी करने के बारे में ख्वाब में भी नहीं सोच सकता था। क्योंकि सुनैना शहर के सबसे बड़ें जाने माने बिजनेसमैन की इकलोती बेटी है। जो बचपन से पैसों से खेलती हुई बड़ी हुई थी।

ऐसे में राजीव उसे अपना जीवनसाथी बनाने के बारे में नहीं सोच सकता था। लेकिन सुनैना पुरी तरह से राजीव के प्यार दिवानी थी। वो उसे किसी भी हाल में नहीं खोना चाहती थी। वो उसके लिए अपना सब कुछ छोडऩे को तैयार थी। फिर एक दिन सुनैना ने ही आगे बडक़र राजीव को अपने पापा से मिलवाया। और अपने पापा से शादी की बात की और राजीव और अपनी शादी के लिए राजी किया।

सुनैना आज भी अपनी जिन्दगी को वो दिन नहीं भुल सकती है। वो दिन उसकी जिन्दगी में बिखरें हुए अरमानों की ऐसी अंधेरी सांझ बनकर आया। जिन अंधेरों से वो आज तक बहार नहीं आ सकी। ये वो दिन था जिस दिन राजीव और उसकी शादी थी। वो बहुत खुश थी उस दिन वो राजीव की दुल्हन बनी हुई थी। उसके दिल में हजारों अरमान थें। जिसके सायें में वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

आज उसके पापा बहुत प्यार से उसकी और राजीव की शादी कर रहे थे। सुनैना राजीव की दुल्हन बन उसके आने का बेसबरी से इन्तजार कर रही थी। लेकिन राजीव बारात लेकर नहीं आया। सुनैना की आंख में आंसू थे। उसे कुछ समझमे नहीं आ रहा था। राजीव क्यों उसके साथ ऐसा कर रहा है वो क्यों नहीं आया।

फिर उसके पापा ने उसके सर पर हाथ रखकर कहा बेबुनियादी है बेटा तुम्हारा ये इंतजार वो नहीं आयेगा बेटा। मैंने तुम्हें पहले ही समझाया था। राजीव एक अच्छा लडक़ा नहीं है। उस पर विश्वास नहीं करों लेकिन तुम नहीं मानी जिद पर अड़ी रही। तुम्हें उससे ही शादी करना है। अब देखों उसकी सच्चाई तुम्हारे सामने है। मैंने ये बात तुम्हें नहीं बताई थी। कल राजीव मेरे पास आया था। और मुझसे पैसों की डिमांड की थी और मैंने उसे पैसे दिये भी। ये देखों तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं होगा इसलिए मैंने उससे लिखा लिया था।

सुनैना ने उस कागज को अपने हाथों में लिया। और वो बैतहशा रोने लगी। उसको अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। उसका राजीव ऐसा कर सकता है। जहां तक वो राजीव को जानती थी वो अपनी जिन्दगी में एक ईमानदार ,सच्चाई पसंद और एक स्वाभिमानी इंसान है। वो ऐसा कभी नहीं कर सकता है। के पैसों के लिए उसके साथ विश्वासघात करें।

फिर थोड़ी देर बाद राजीव सुनैना के पास आया। वो बहुत परेशान लग रहा था। सुनैना उसको देखकर बहुत खुश हो गई। लेकिन राजीव को दुल्हें की डे्रस में न देख सुनैना उस पर गुस्सा हो गई। राजीव ये क्या हाल बना रखा है तुमने अपना भुल गये क्या आज हमारी शादी है। वैसे ही तुम इतने लेट आये हो जानते हो मैं कितनी ज्यादा परेशान थी। तुम सोच सकते हो जिस लडक़ी की सांसे तुम्हारे नाम से चलती है। वो आज अपनी शादी वाले दिन उस शख्स का इंतजार करती रह गई वो आया भी तो इस हाल में। क्यों राजीव तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो?

राजीव सुनैना को समझाने की कोशिश करता है। देखो सुनैना समझने की कोशिश करो आज मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं। मैं तुम्हें यही बताने आया हूं आज हमारी शादी नहीं हो सकती है। मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं मैं तुमसे शादी नहीं करूंगा। मैं अपनी जिन्दगी तुमसे ही शादी करना चाहता हूं। लेकिन आज नहीं।

आज क्यों नहीं राजीव? मुझे आज ही तुमसे शादी करना हैं। किसी भी हाल में। नहीं सुनैना ये नहीं हो सकता हैं। मैं आज बहुत परेशान हूं। मेरी बहेन..। मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुनना है। हमारी शादी होगी तो आज ही होगी।

सुनैना राजीव की कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं थी। उसके सर पर बस आज ही राजीव से शादी करने का जुनून सबार था। लेकिन राजीव ने आज शादी से साफ इंकार कर दिया। सुनैना ने गुस्से से राजीव से बस एक ही सवाल पुछा। राजीव क्या ये सच है कल तुमने पापा से पैसें की डिमांड की थी।

राजीव कभी झुठ नहीं बोलता था इसलिए उसने सुनैना से कहा हां सुनैना कल मैंने तुम्हारे पापा से पैसे लिये थे। राजीव सुनैना से कुछ और कह पाता गुस्से में सुनैना ने राजीव पर हाथ उठा दिया। सुनैना के इस बार से राजीव एक दम सुन सा पड़ गया उसने ख्वाब में भी नहीं सोचा था

सुनैना उसे इतना गलत समझेगी। वो पुरी तरह से टुट गया था। आज वो सुनैना से बहुत कुछ कहना चाहता था लेकिन नहीं कह पाया। सुनैना उसे गुस्सें में बस सुनाए जा रही थी और वो सुन रहा था। राजीव की आंखों मे बस आसूं थे। आज उसे एहसास हो रहा था उसने क्यों सुनैना से प्यार किया। क्यों उसपर विश्वास किया। सुनैना भी ऐसा ही सोच रही थी।

दोनों ही दूसरे के बनाए हुए षडयंत्र में इस तरह फस गए थे। न चाहकर भी ऐसे अलग हुए फिर नहीं मिल पाए। सुनैना के पापा ने राजीव के सीधेपन का फायदा उठाकर उसे दहेज मांगने के इल्जाम लगा कर पुलिस के हवाले कर दिया। राजीव बहुत रोया उसने सुनैना से कहा सुनैना मैंने ऐसा कुछ नहीं किया प्लीस मुझ पर विश्वास करों। मैं आज बहुत परेशान हूं। मुझे इन लोगों से बचा लों वरना मेरी मासूम सी बहेन मर जायेगी।

लेकिन सुनैना ने राजीव की कोई बात नहीं सुनी। और वो बैहोश हो गई। जब उसे होश आया तो वो हॉस्पिटल में थी। आज भी सुनैना की आंख में आसूं थे। वो सोच रहीं थी राजीव ने ये सब कुछ उसके साथ सिर्फ पैसों के लिए किया। क्यो किया उसने ऐसा? कभी उसको रंजीता से ही शादी करना था तो उसे शादी के सपने क्यो दिखाएं? पहले उसके दिल में प्यार जगाया फिर उसके प्यार भरे दिल को अपने पेरो तले मसलकर रख दिया।

आज उसकी इस बेवफाई ने उसको कितनी तकलीफ पहुंचाई है वो कभी नहीं समझ सकता है। सुनैना अब बस रोये जा रही थी। इतने में कार एक जौर के झटके के साथ रूकी। सुनैना ने कहा क्या हुआ? लगता है दीदी टायर पंक्चर हो गया है। सुनैना ने देखा घर ज्यादा दूर नहीं था। विजय तुम पंक्चर ठीक करा के घर आ जाना मैं जब तक घर पहुंचती हूं।

और सुनैना बरसात के इस सुहाने मौसम में ठंड़ी-ठंड़ी हवा में आसमान पर छाए काले-काले बादलों को देखती हुई अपने घर की तरफ आगे बडऩे लगी। उसकी आंखों में अभी भी आसूं थे। वो आज भी राजीव और उसके प्यार को भूल नहीं पाई थी। इतने सालों बाद आज उसने राजीव को देखा भी तो इस तरह जो उसके मन में एक उम्मीदों का चिंराग रोशन था आज वो भी बुझ गया था। वो बहुत टेंशन में थी आज।
इतने में किसी ने पीछे से जौर से उसको पकडक़र खीचा। वो रोड के किनारे गिर गई।

उसके आस-पास बहुत सारी भीड़ इक_ा हो गई। सब कह रहे थे। बच्ची ने बहुत साहस का काम किया है। वरना आज आप बस के नीचे आकर हादसे का शिकार हो जाती। सुनैना अचानक हुए इस हादसे से सहम सी गई थी। उसे कुछ समझमे नहीं आया क्या हुआ? उसने पीछे मुडक़र अपने उस रहनुमा को देखा जिसने अपनी जान की परवाह किये बगैर उसकी जान बचाई।

लेकिन सुनैना ये देखकर हैरान थी जिस लडक़ी ने अपनी जान पर खेलकर उसकी जान की हिफाजत की थी वो खुद अपने पैरो से चल नहीं पाती है। उसको देखने के बाद सुनैना जल्दी से उठकर खड़ी हुई और उस लडक़ी को सहारा देकर खड़ा किया और उसकी दोनों बैसाखियों को उसको पकडय़ा। और कहा। तुम ठीक हो न? हां दीदी मैं ठीक हूं। आप तो ठीक है न? हां मैं ठीक हूं आज तुमने मेरी जान बचाकर मुझपर बहुत बड़ा अहसान किया है। नहीं दीदी ऐसा मत कहिए आप ठीक हैं ये मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है।

लेकिन तुम्हारे हाथ में चोट लगी है। चोट तो आपको भी लगी है। ये तो मामूली जख्म है। मैंने तो अपनी जिन्दगी में बहुत गहरे-गहरे जख्म खाए हुए है। अब इन मामूली जख्मों की तकलीफ का तो एहसास ही नहीं होता है मुझे।

तुम चलों मेरा घर करीब ही है। नहीं दीदी फिर कभी घर पर मां मेरा इंतजार कर रही होगी। अच्छा अपना नाम तो बता दो क्या नाम है तुम्हारा? मेरा नाम कंचन है दीदी। और आपका? मेरा नाम सुनैना है। ये मेरा कार्ड है। जब तुम मुझसे मिलना चहो घर आ जाना। सन्डे को मैं हमेशा घर पर ही रहती हूं। क्या हुआ कहा खो गई तुम। कुछ नहीं दीदी आपका नाम सुनकर किसी की याद आ गई थी। किसकी? मुझे उनका चहेरा तो नहीं याद है। बहुत छोटी थी मैं जब उन्हें देखा था। सुना है बहुत ज्यादा खुबसूरत थी वो। बिल्कुल आपकी तरह। लेकिन? क्या बात है? छोड़ों दीदी। अच्छा चलती हूं माँ इन्तजार कर रही होगी।

धीरे-धीरे जैसे वक्त गुजर रहा था। कंचन और सुनैना एक दूसरे के अच्छी दोस्त बन गई थी। लेकिन सुनैना इस बात से अंजान थी कि जिस लडक़ी के बारे में कंचन उससे बात कर रही थी। वो लडक़ी वो खुद ही है।

दिन यूहीं गुजरते जा रहे थे। कुछ समझमे नहीं आ रहा था। जिन्दगी ये किस मोड़ पर लेकर जा रही है। और आगे क्या होने वाला है?
इसी कश्मकश में एक दिन कंचन ने सुनैना को अपने घर चलने को कहा। सुनैना खुशी-खुशी कंचन के घर चली गई। कंचन भी सुनैना को घर ले जाकर बहुत खुश थी। दीदी आप यहां आराम से बैठों में मां को बुलाकर लाती हूं।

सुनैना वहां बैठ गई। इतने में वहां राजीव आया। सुनैना को देखकर गुस्से से कहा तुम..? तुम यहां क्यों आई हो? राजीव आप ये आपका घर है? मुझे नहीं मालूम था। ये आपका घर है। मैं तो कंचन के साथ यहां आई थी।

अपनी गंदी जुबान से मत लो मेरी मासूम बहेन का नाम। अच्छा तो अब तुम उसे अपने झुठे प्यार के फरैब में फसा रही हो। दूर रहो तुम मेरी बहेन से इससे पहले की उसे ये पता चले के आज जो उसकी हालत है। उसकी जिम्मेदार सिर्फ तुम और तुम्हारे पापा हो। राजीव ये क्या हो गया है आपको? आप क्या कह रहे है मुझे तो कुछ समझमें नहीं आ रहा है? आप ऐसा क्यों कह रहे है मुझसे?

इतनी भी अन्जान मत बनों सुनैना क्या तुम सच मैं कुछ नहीं जानती हो। हां राजीव मै तुमसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करती हूं। तुम्हारी कसम खा के कहती हूं मुझे नहीं मालूम तुम क्या कह रहें हो। और क्यों कह रहे हो। अच्छा तो तो क्या तुम्हारे पापा ने तुम्हें नहीं बताया था। मैंने उनसे पैसें क्यों लिये थे? मेरी बहेन कंचन की उस वक्त हालत बहुत सीरियस थी।

वो हॉस्पिटल में जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रही थी। ये बात मैंने हमारी शादी के एक दिन पहले तुम्हारे पापा से कही थी। इसलिए उनसे पैसे भी लिये थे। लेकिन तुमने मुझे इतना गलत समझा और मेरी एक बात नहीं सुनी और अपने पापा से कहकर मुझ पर दहेज का झुठा केस में फसा कर मुझे जेल भेज दिया।

और उसके बाद पता भी नहीं किया मैं किस हाल में हूं। तुम सोच भी कैसे सकती हो सुनैना मैं तुम्हारे साथ ऐसा करूंगा। उस लडक़ी के साथ जिससे मैं अपनी जान से ज्यादा प्यार करता था। क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा जानती हो तुम उसके बाद क्या हुआ? मैं जेल से बहार नहीं आ पाया शायद तुम्हारे पापा की वजह से। और ऊधर मेरी बहेन की हालत दिन-व-दिन सीरियस होती चली गई। मैं तुम्हारी इस बेवफाई से पुरी तरह से टुट गया था।

जिन्दगी जीने की उम्मीद ही खत्म हो गई थी मुझमें। एक बेजान लाश की तरह हो गया था मैं। बस अपनी छोटी बहेन की जिन्दगी की दुआ कर रहा था मैं। जिस तरह से तुम्हारे पापा ने मुझे फसाया था। उससे मुझे लग रहा था। हमारी शादी एक दिन पहले मेरी बहेन के साथ इतना बड़ा हादसा हुआ। मुझे लग रहा था। इसमें भी तुम्हारे पापा का ही हाथ था।

वो तो मेरी किस्मत अच्छी थी। मेरी बचपन की दोस्त रंजीता ने उस दुख की घंड़ी में मेरा और मेरे परिवार का साथ दिया। और मेरे परिवार का सहारा बनी। और उसने मेरी बहेन की जिन्दगी बचाने की पुरी कोशिश की। वो मेरी बहेन की जिन्दगी तो बचा पाई। लेकिन उस हादसे के बाद मेरी बहेन दुवारा कभी अपने पैरों पर चल नहीं पाई।

अब भी तुम्हें ऐसा लगता है मैं तुम्हें मेरी उसी बहेन के साथ देखकर खुश होऊंगा। ऐसा कभी नहीं हो सकता है। निकल जाओ मेरे घर से दुबारा कभी यहां आने की कोशिश नहीं करना।

राजीव उस वक्त इतना ज्यादा गुस्से में था। सुनैना उससे कुछ नहीं कह पाई। बस रोए जा रही थी। और सोच रही थी। उसके पापा ने उसके और राजीव के साथ इतना बड़ा धोका किया था। बस इसलिए वो राजीव से उसकी शादी नहीं करना चाहते थे।

आज उसके समझ में आ रहा था। जब वो हॉस्पिटल में एडमीट थी तो क्यों उसके पापा उससे रो रो कर माफी मागते थे। क्योंकि उन्होंने अपनी खुशी के लिए एक मासूम बच्ची का एक्सीडेंट करा कर उसकी जिन्दगी खतरे मे डाली थी। इसलिए वो पल-पल अपनी बेटी को इतने सालों तक जिन्दगी और मौत के बीच तड़पता हुआ सा महसूस कर रहे थे।

सुनैना अपनी आंखों में आंसू लिये राजीव के घर से आ गई। टेंशन में वो अपना पर्स वही भुल गई। कंचन अपनी मां के साथ खुशी -खुशी वहां आई। अरे भाईया आप यहां और सुनैना दीदी कहा है? वो चली गई है। मुझसे बिना मिले। हां उन्हें कुछ जरूरी काम था। अरे भाईया वो अपना पर्स तो यही भुल गई है। मैं देखती हूं ज्यादा दूर नहीं गई होगी। लाओ ये पर्स तुम मुझे दो मैं दे दूंगा। लेकिन भाईया। कहा न दे दूंगा।
राजीव सुनैना का पर्स लेकर कमरे में चला गया। पर्स में रखे मोबाइल की रिंग बजने पर राजीव ने पर्स खोलकर देखा तो पर्स में उसकी ही फोटो रखी थी। आज अपनी फोटो सुनैना के पास देख राजीव की आंख में आंसू आ गए।

शाम को वो सुनैना का पर्स लेकर उसके ऑफिस गया। सुनैना ने राजीव को देखकर कहा मैं जानती थी तुम यहां जरूर आओगें। तुम जानना चाहते हो न मैंने ऐसा क्यो किया तुम्हारे साथ। मैंने बाद में क्यो पता करने की कोशिश नहीं की तुम कैसे हो तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? ये लो इस फाईल को गौर से देखो। तुम्हें मेरी मजबूरी पता चल जाएगी।

राजीव हैरानी से फाईल की तरफ देखने लगा। फिर थोड़ी देर बाद उसकी आंखों में आंसू थे। वो बस रोये जा रहा था। मैं मानती हूं राजीव ये सब मेरे पापा ने किया था। ताकि हम दोनो की शादी नहीं हो पाये। लेकिन इस सब में मेरी कोई गलती नहीं थी। और मेरे पापा ने भी जो किया उनको उसकी बहुत बड़ी सजा मिली थी। वो पल-पल अपनी बेटी को जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष करते देख रहे थे और कुछ नहीं कर पा रहे थे। उनकी आंखों में आंसू थे वो दिन रात रोते थे तड़पते थे। मुझसे माफी मागते थे। और मुझे कुछ समझमे नहीं आता था वो क्यों ऐसा कर रहे है।

मैं तो तुमसे इतना ज्यादा प्यार करती थी के ये सब मैं बरदाश्त ही नहीं कर पाई थी। अब तुम ही सोचो जो लडक़ी तुम्हारे बिना एक पल नहीं जी सकती थी। वो कैसे आज तक तुम्हारे बिना जिन्दा है। उस दिन के बाद मैं अपना दिमागी सन्तुलन खो बैठी थी। और पुरे सात सालों तक मैं इस ही हाल में हॉस्पिटल में थी।

मेरे पापा भी अपनी इकलोती बेटी का ये हाल देख पुरी तरह से टुट चुके थे। और वो अपने किये पर बहुत पछता रहे थे। उन्होंने तुम्हें ढूंढने की भी बहुत कोशिश की लेकिन तुम नहीं मिले। क्योंकि शायद तुम वो शहर छोडक़र यहां आ गये थे। लेकिन उन्होंने मुझे कभी कुछ नहीं कहा। बस बार-बार मुझसे माफी मांगते थे। और एक दिन वो इस दुनिया से चले गए।

गर्दीशों में टुटे ये सितारे ऐसे बिछड़े फिर नहीं मिल पाये। अब राजीव और सुनैना दोनो की आंखों में आंसू थे। लेकिन अब वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते थे। सुनैना ने ही कहा राजीव जो हुआ वो हमारी किस्मत में लिखा था। लेकिन मैं चाहती हूं मैं कंचन का ईलाज कराऊं ताकि वो दुबारा अपने पैरों पर चल पाये। मैं उसे अपनी छोटी बहेन की तरह मानती हूं।

मैं उसे दुबारा इस दुनिया में हंसता मुस्कुराता हुआ देखना चाहती हूं। फिर ये सच भी हैं उसकी इस हालत की जिम्मेदार भी मैं ही हूं। नहीं सुनैना ऐसा मत कहों इस सब में तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। हां हम दोनों मिलकर कंचन को ठीक करने की कोशिश जरूर करेगें। क्योंकि जो कुछ हुआ हमारी वजह से हुआ है। हां हम बस अब अच्छे दोस्त बनकर साथ रह सकते है।

अब सुनैना और राजीव दोनों की आंखों में आंसू थे। राजीव ने सुनैना से कहा सुनैना अब मैं इतना मजबूर हूं कि चाह कर भी तुम्हारी आंखों के आंसू भी नहीं पोछ सकता हूं मैं। बस अपनी आखरी सांस तक अपनी जिन्दगी से यही शिकवा रहेगा मुझे…।

राजीव अपनी जिन्दगी में मैंने भी बस तुम्हें हद से ज्यादा प्यार किया लेकिन तुम जैसे नैकदिल इंसान को अपना जीवनसाथी के रूप न पा सखी अपनी जिन्दगी से यहीं शिकवा रहेंगा मुझे…।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश