भीड़ मे से किसी ने कहा क्या आप इन्हें जानती हैं? पूजा ने उस शख्स की तरफ देखकर कहा क्या किसी की मदद करने के लिए पहचान होना जरूरी है। क्या ये सही नहीं हम इंसान हैं। इंसान होने के नाते किसी की मदद करें।
नवीन आफिस से आया और अपनी मां की गोद में सर रखकर सोफे पर बैठ गया। उसकी मम्मी उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा क्या हुआ नवीन तुम ठीक तो हो न बेटा कुछ तकलीफ हैं क्या? नहीं मम्मी मैं बिल्कुल ठीक हूँ। बस यूहीं। नहीं बेटा कुछ तो बात है। बताओं क्या हुआ? मम्मी आपको पूजा कैसी लगती हैं? पूजा तो बहुत प्यारी हैं। वो तो लाखों मे एक हैं। उसके संस्कार तो इतने अच्छे हैं बेटा खुशनसीब हैं उसके मम्मी पापा के उनकी पूजा जैसी बेटी हैं। जानते हो नवीन जबसे तुम्हारे पापा पूजा से मिले हैं दिन रात उसी की तारीफ किया करते हैं।
मुझसे हमेशा कहते हैं काश सरला हमारी भी एक पूजा जैसी बेटी होती। नवीन बेटी के प्यार को तरस रहे हमारे मन को पूजा ने अपने प्यार से इस तरह सिचा है के अब इस मे कई अरमानों के फूल खिल आए हैं। कैसे अरमान मम्मी? पूजा जैसी बेटी को पाने के अरमान। मम्मी मैं भी तो आपसे कुछ कहना चाहता हूँ। मम्मी मैं पूजा से शादी करना चाहता हूँ। अगर आप और पापा राजी हो तो मैं पूजा को अपना जीवन साथी बनाना चाहता हूँ।
नवीन क्या तुम पूजा को पसंद करते हो। मम्मी मैने उसे आज तक देखा नहीं है। न ही मेरी हिम्मत हुई उसकी परोफाईल खोल कर उसकी फोटो देख लू। उसकी अच्छाइयों के आगे मेरे लिए उसकी बहारी खुबसूरती कोई मायने नहीं रखती हैं। मैंने बस उसकी अवाज सुना हूँ। लेकिन मुझे लगता है मुझे उससे प्यार हो गया है। मम्मी कभी पापा राजी हो तो आप दोनों कल ही पूजा के घर जाकर उसके मम्मी पापा से बात किजिए।
बेटा तुम्हारे पापा तो ये जानकर बहुत खुश होगें के तुम पूजा से शादी करना चाहते हो। मेरी बात मानो कल तुम भी हमारे साथ पूजा के घर चलो। इसी बहाने तुम भी पूजा को देख लेना उससे मिल लेना। नहीं मम्मी मैं आपके साथ कल वहां नहीं जाऊंगा। मैंने ये फैसला किया है कभी मैं पूजा को देखुंगा तो उस वक्त ही देखुगा जब वो मेरी दुल्हन बने हुए मेरे सामने खडी होगी। ये क्या दिवानगी हैं नवीन ये तुम्हारी और पूजा की पुरी जिन्दगी का सवाल हैं। मम्मी पूजा चाहे तो मुझे देख सकती हैं। लेकिन मैं नहीं अच्छा नवीन जैसी तुम्हारी मर्जी मैं तुम्हारे पापा से बात करती हूं।
नवीन के पापा को तो पूजा पहले ही से पंसद थी। इसलिए दूसरे दिन नवीन के मम्मी पापा पूजा के घर गए और पूजा के मम्मी पापा से पूजा और नवीन की शादी की बात की। पूजा के मम्मी पापा पूजा और नवीन की शादी के लिए तैयार थे। लेकिन ये जानकर हेरान थे। नवीन पूजा से नहीं मिलना चाहता है। फिर उन्होने पूजा से कहा बेटा नवीन तो तुमसे नहीं मिलना चाहता है लेकिन अगर तुम उससे मिलना चाहों तो मिल सकती हो। नहीं पापा मैं नवीन जी के फैसलें की कद्र करती हूं। आज के जमाने मे कोन ऐसा सोचता है। मम्मी पापा आप और अनुज नवीन से मिल लें फिर जो आपका फैसला होगा वो मुझे मंजूर होगा।
कुछ दिन बाद पूजा के मम्मी पापा और उसका छोटा भाई नवीन के घर गए नवीन की मम्मी ने उनसे कहा वैसे तो हमारा नवीन लाखों मे एक हैं। लेकिन फिर भी आप बेटी के माँ-बाप है आपका जो फैसला होगा हमें मंजूर होगा। आप आराम से सोच विचार कर जबाब दिजियेगा। पूजा जैसी बेटी के लिए हम कितना भी लम्बा इन्तजार कर सकते हैं।
दिन यूहीं पंख लगाकर उठते जा रहे थे। अब तो वो दिन भी आ गया था। जब पूजा के मम्मी पापा ने पूजा और नवीन की शादी के लिए हाँ कह थी। नवीन बहुत खुश था। अब वो पूजा को देख पाएंगे। उससे मिल पाएगा। अब उसका और पूजा का जन्मों-जन्मों का साथ होगा। खुशी से बैचेन नवीन ने पूजा को काल किया। पूजा क्या तुम इस शादी से खुश हो?
तुम मुझसे ये सवाल क्यों पुछ रहे हो नवीन। क्या तुम खुश हो? मैं तो बहुत ज्यादा खुश हूं। बस नवीन तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी छुपी हुई है। तुम ऐसी क्यों हो पूजा? तुम उस वक्त भी जब मैं तुम्हारे लिए एक अजनबी था। तुम्हें मेरी खुशियों की कितनी फिक्र थी और आज भी। तुम्हारी यहीं तो वो अदा हैं जिसनें मुझे तुम्हारा दिवाना बना दिया है। नवीन आगे कुछ कहता इतने में पूजा ने कहा मम्मी मुझे बुला रही हैं। नवीन हम बाद में बात करते हैं। और पूजा पलंग पर जाकर लेट गई है। और मुस्कराने लगी। अब वो पुरानी यादों में खो गई थी। किस तरह एक पल ने उसकी जिन्दगी बदल के रख थी। और उसे एक अजनबी से नवीन का जीवनसाथी बना दिया था।
आज भी उसे वो दिन याद है। जब वो आफिस जा रही थीं। तो रास्ते में उसने देखा एक जगह बहुत ज्यादा भीड़ हो रही हैं। उस भीड़ को देख उसका मन बहुत बैचेन हो रहा था। जब वो वहाँ करीब पहूंची तो उसने अपनी स्कूटी साईट मे खड़ी कर के भीड़ को हटाते हुए अंदर गई देखा तो वहा एक महिला बेहोश हो गई थी। चारों तरफ से लोगों ने उन्हें घेर रखा था। लेकिन कोई उनकी मदद के लिए अब तक आगे नहीं बढा था।
पूजा उनके पास गई और उनके पास जाकर बैठ गई। और उनका सर अपनी गोद में रखकर अपने दुपट्टे से उनका चहरे पर आए पसीने को पोछने लगीं।
भीड़ मे से किसी ने कहा क्या आप इन्हें जानती हैं? पूजा ने उस शख्स की तरफ देखकर कहा क्या किसी की मदद करने के लिए पहचान होना जरूरी है। क्या ये सही नहीं हम इंसान हैं। इंसान होने के नाते किसी की मदद करें। फिर पूजा ने अपने बैग से पानी बटल निकाल कर उन आन्टी के चहरे पर पानी के छींटे मारे कुछ देर की कोशिश के बाद उन्हें होश आ गया पूजा उन्हें पानी पिलाया। और थोड़ी देर बाद उन्हें आपनी स्कूटी पर बिठा कर हास्पिटल ले गई।
उनकी हालत देखकर डॉक्टर ने उन्हें एडमिट कर लिया। पूजा ने उनसे कहा आन्टी आप के घर मे कौन-कौन हैं। आप किसी का नम्बर मुझे दिजिये तो मैं आपके घर से किसी को बुलाती हुँँ। बेटा अभी तो घर पर सिर्फ मेरे पति हैं। हमारा एक ही बेटा है, वो आज एक जरुरी मिटिंग के लिए दिल्ली गया है। ओ आप मुझे अंकल का ही नंम्बर दिजिये।
ये नवीन की मम्मी थी। जिनकी मदद आज पूजा कर रही थीं। नवीन के पापा ने नवीन की मम्मी को देखकर पूजा से कहा बेटा मैं तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर याद रखुंगा। तुमनें आज सरला की जान बचाकर मुझे और मेरे बेटे को नई जिन्दगी दी हैं। हम दोनों की जिंदगी सरला मे ही बसती है। फिर नवीन के पापा ने नवीन को काल किया। हलो नवीन बेटा कैसे हो? पापा मैं तो ठीक हुंं। आप और मम्मी ठीक हैं न? न जाने क्यों आज मेरा मन बहुत बैचेन हो रहा है। मुझे आप की बहुत फ्रिक हो रही हैं। सुबह से ऐसा लग रहा है घर वापस आ जाऊँ।
बेटा तुम फ्रिक मत करो ये बताओं तुम्हारी मिटिंग अच्छे से हो गई। नहीं पापा अभी एक घंटे बाद हैं। आप तो जानते हैं ये मिटिंग मेरे लिए कितनी इम्पौटेन हैं। मेरा डिम पोजेक्ट है ये। क्या ऐसा नहीं हो सकता है बेटा तुम घर वापस आ जाओ। क्यों पापा आप ऐसा क्यों कह रहे हैं। सब ठीक तो हैं न? हाँ बेटा सब कुछ ठीक है। बस तुम्हारी याद आ रही हैं। नहीं पापा आप मुझे बताईए क्या बात है?
बेटा… मैं इस वक्त हास्पिटल मे हूँ। तुम्हारी मम्मी की तबियत ठीक नहीं है। पापा क्या हुआ है मम्मी को? आप फ्रिक मत किजिए बस में अभी यहां से निकलता हूँ। पापा मैं पहली गाड़ी से वहां पहुंच रहा हूँ। आप अपना और मम्मी का ख्याल रखना। मैं स्टेशन जा रहा हूँ। ट्रेन में बैठने के बाद काल करुंगा। लेकिन बेटा तुम्हारी मिटिंग? डोन्ट वरी पापा। मेरे लिए आप और मम्मी के अलावा दुनिया में कोई चीज इम्पौटेन नहीं है।
पूजा ने नवीन के पापा से कहा इस तरह से नवीन जी घबरा जाएंगे। देखिए अंकल मैं अपने छोटे भाई अनुज को बुला लेती हूँ। मैं और अनुज आन्टी को सभाल लेगें। आप नवीन जी को माना कर दिजिये वो अभी यहां नहीं आये। और बैफिर्क होकर आपनी मिटिंग अटेंड करें। जब तक हम आन्टी का ख्याल रखेंगे। लेकिन बेटा? कुछ नहीं कहिए आंकल आन्टी की जगह हमारी मम्मी होती तो क्या हम उनका ख्याल नहीं रखते।
फिर नवीन के पापा ने नवीन को पूजा के बारे में बता कर उसे यहां आने से माना किया। बहुत मनाने के बाद वो मान गया। फिर वो हर आधे घंटे में विडियों काल से अपनी मम्मी हाल पुछ रहा था।
ऐसे ही रात हो गई। नवीन ने अपने पापा को स्मिपल काल की इस बार काल पूजा ने रिसीव की। ये पहली बार था जब नवीन ने पूजा की आवाज सुनी थी। वो आवाज जिसका आज वो दिवाना हैं। पापा। मैं पूजा बोल रही हूं। आप पापा कहा है? अंकल सुबह से बहुत थक गए थे। मैंने उन्हें थोड़ा आराम करने के लिए कहा था। अभी उनकी नींद लग गई हैं। इसलिए मैंने काल रिसिव किया है। थैन्क पूजा जी आप कितनी अच्छी है। आप मेरे मम्मी-पापा का कितना ख्याल रख रही है। सच आज तो अपने मुझे अपने एहसानों के बोज तले दावा दिया है। मैं चाहकर भी जिन्दगी भर आपका ये एहसान नहीं चुका पाऊँगा।
ये कैसी बात कर रहे हैं आप नवीन जी आपके पेरेंट्स ने मुझे बेटी कहा है और एक बेटी आपने मम्मी पापा के लिए कुछ करें तो वो एहसान नहीं होता है।
सचमुच पूजा जी अगर दुनिया में सब की सोच आप जैसी हो जाएं तो दुनिया में इन्सनियत जीन्दा हो जाए। और लाखों लोगों की जाने जाया होने से बच जाए।
वैसे मैंने पापा को ये बताने के लिये फोन करा था। मैं गाड़ी में बैठ गया हूँ। कुछ घंटे मैं वहां पहुंच जाऊंगा। डोन्ट वरि पूजा जी मैं आ रहा हूँ। आप आपना और मम्मी पापा का ख्याल रखिएगा। मम्मी अब ठीक है न? हाँ अब वो बिल्कुल ठीक है। अभी उनकी नींद लग गई है। आप भी थोड़ा आराम कर लिजीये पूजा जी। नहीं मुझे नींद नहीं आ रही हैं। अच्छा टेक केयर मैं रख रही हूं।
नवीन का दिल ही नहीं कर रहा था। लेकिन पूजा ने फोन रख दिया। नवीन सोच रहा था। अजीब है ये लडक़ी है ये मेरे लिए अजनबी लेकिन लगता नहीं है के अजनबी हैं।
नवीन की रात यूहीं इस अजनबी लडक़ी के ख्यालों मे गुजर गई। सुबह की रोशनी होने से पहले ही नवीन हास्पिटल पहुंच गया। पापा मम्मी कैसी है। बेटा अब तो वो ठीक हैं। मम्मी नवीन अपनी मम्मी के पास उनका हाथ पकड़ कर बैठ गया मम्मी आपको कितना बुरा लग रहा होगा आप इतनी बीमार थी और आपका ये नलायक बेटा आपके पास नहीं था। और नवीन की आंखों में आँसू आ गए।
नहीं नवीन मैं जानती हूँ मेरा बेटा मुझसे कितना प्यार करता हैं। कल उसका पुरा दिन कितनी बैचेनी मे कटा होगा मैं ही जानती हूँ। अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ बेटा। तुम फ्रिक मत करो। मम्मी ये आपका बड़प्पन हैं। जो आप मुझसे ऐसा कह रही हैं। मम्मी आप का बेटा बस यूहीं आपसे कहता है वो आपसे आपनी जान से ज्यादा प्यार करता है। जब वक्त पड़ा तो एक अजनबी लडक़ी ने आपको वो प्यार वो सम्मान दिया जिसका हक सिर्फ मुझकों था। नवीन अब बस रोए जा रहा था। उसकी हिचकियाँ बंद गई थी। नवीन के पापा ने नवीन को अपने गले से लगा लिया नहीं बेटा हम जानते हैं। तुम हमें कितना प्यार करते हों। अब बहुत हो गया बेटा तुम सफर से थक कर आए हो। तुम्हारी मम्मी की तबीयत भी ठीक नहीं है। चलो इधर आओ यहां बेठो।
फिर नवीन ने देखा पूजा वहां नहीं है। उसने अपने पापा से कहा पूजा जी क्या अपने घर चली गई क्या? नहीं बेटा वो अपने भाई अनुज के साथ नीचे दवा लेने गई है। बेटा पूजा बहुत अच्छी लडक़ी हैं। कल वो एक फरिश्ता बन कर तुम्हारी माँ को मिली उसकी जान बचाई। इतना ही नहीं उसने हास्पिटल के पुरे बिल भी पे किए मुझे एक पैसा भी नहीं खर्च करने दिया। आज दुनिया में कोन किसी अजनबी के लिए इतना करता है। पूजा लोखों मे एक हैं बेटा। पापा मैं अभी उसके पास जाता हूँ। फिर नवीन लिफ्ट से निचे गया। लेकिन पूजा सिडिय़ों से पहले ही ऊपर आ गई थी। नवीन मेडिकल पर जा कर कहा वो लढक़ी जो यहां आई थी वो कहा गई? वो तो चली गई हैं।
फिर नवीन रिसेप्शन पर जाता है और कहता है। मिसिज महेता का ईलाज कोन से डॉक्टर कर रहे हैं? मुझे उनसे मिलना है। डॉक्टर अग्रवाल है वो राईट से सेकंड केबिन है उनका। थैन्क। और हाँ आप मुझे मिसिज महेता के ईलाज मे अब तक जो पैसे लगे है उसका बिल मुझे दे दिजिये। देखिए सर मिसिज महेता के बिल तो सारे उनकी बेटी ने पे कर दिए है। देखिए प्लीज आप मुझे बिल बना के दे दिजिए। मैं मिस्टर एंड मिसिज महेता का इकलौता बेटा हूँ। मुझे पूजा जी के पैसे लोटाना हैं।
उन्होंने मेरे मम्मी पापा की जो मदद की हैं। वो कबीले तरीफ है। लेकिन मैं उनका इतना बड़ा एहसान के बोज को अपनी जिन्दगी मे नहीं लेकर चल सकता हूँ। अच्छा सर डोन्ट वरि। मैं आपको सारे बिल दे दुगी। नवीन डॉक्टर से मिलने चला जाता हैं। ऊधर पूजा ऊपर पहुंचती हैं। वहाँ उसे पता चलता है नवीन आ गया है। वो नवीन के पापा से कहती हैं नवीन जी आ गए हैं तो अब मैं घर जाती हूँ। मम्मी पापा बहुत फ्रिक कर रहे होगे। कल से मम्मी ने कितनी बार फोन किया है। हाँ बेटा हम समझते है तुम्हारे मम्मी पापा कितनी फ्रिक कर रहे होगे। अच्छा आंटी अब मे चलती हूँ। बेटा नवीन आ जाने दो उससे मिल कर चले जाना। नहीं अंाटी मैं बाद मे मिल लुगी। अच्छा बेटा जैसी तुम्हारी मर्जी। पूजा अनुज के साथ घर चली गयी।
नवीन आया तो उसे पता चला पूजा घर चली गई है। एक घंटे बाद पूजा ने अनुज के हाथ नास्ता भेजती है। नवीन ने कहा पूजा जी नहीं आई। नहीं वो आफिस गई हैं। कल भी बिना बताएं आफिस की छुट्टी ली थीं न इसलिए। लेकिन बेटा वो कल रात पुरी रात नहीं सो पाई थीं। आज उसे आराम करना चाहिए था। हाँ अंकल मम्मी पापा भी यहीं कह रहे थे। लेकिन पूजा दी है ही ऐसी वो जो भी काम करती हैं पुरी ईमानदारी और लगन से करती हैं। चाहे उसके लिए उन्हें कितनी भी तकलीफ ही क्यों न पहुंचे।
वैसे बेटा नवीन ने अभी डॉक्टर से पुछा हैं। दुपहेर मे सरला की छुट्टी हो जाएगी। ये तो बहुत खुशी की बात है अंकल। अच्छा अंकल अब मे भी चलता हुँ मुझे थोड़ा काम हैं। फिर नवीन ने अनुज से कहा अनुज मैं तुम्हारा और पूजा का एहसान जिन्दगी भर नहीं चुका सकता हूँ। ये किसी बात कर रहे हैं आप नवीन भाइयां
अच्छा भाई कह रहे हो तो इस रिस्ते को जिन्दगी भर निभाना। फिर नवीन ने अनुज को हास्पिटल के बिल के पैसे दिये। नहीं भाईया पूजा दी मुझे डाटेगी। नहीं अनुज पूजा से कहना इतना बडे एहसान के बोज के तले मत दबाओ मुझे मेरा सास लेना मुस्किल हो जाए।
पूजा को आज भी याद है। उस दिन के बाद जब पहली बार नवीन ने उसे काल किया था।
पूजा तो कभी उससे बात नहीं करती लेकिन वो ही उससे बात करता अपने मम्मी पापा की बात भी पूजा से करवाता। पूजा नहीं जानती थी नवीन के दिल में क्या चल रहा है। वो अजीब कशमाकस मे हैं। कैसे नवीन ने उसे बिना देखे शादी के लिए राजी हो गया। क्या वो शादी के वक्त उसे देखकर खुश होगा। ऊधर नवीन को तो बस उस घंडी का इन्तजार था जब पूजा उसकी दुल्हन बने उसके सामने खड़ी हो।
इन्तजार की ये घडिय़ां कब यादों सिमट गई पता ही नहीं चला। अब तो पूजा और नवीन दोनों के घरों मे शादी की रस्में शुरू हो गई थी। अखिर वो दिन भी आ ही गया। जब नवीन की पूजा से शादी थीं। नवीन तो बहुत ज्यादा खुश था लेकिन पूजा बहुत बेचैन थी।
इन्तजार की ये घडियां दिल को बैचेन जरूर कर रही थीं लेकिन पूजा और नवीन दोनों ही जानते थे। आज का दिन उनकी जिन्दगी मे ढेर सारी खुशियाँ ले कर आयेगा।
खुशियों के साये में मुश्कुराते हुए अब तो वो पल भी आ गया था। जब पूजा नवीन की दुल्हन बन गई थी। नवीन दूर से पूजा को अपनी तरफ आगे बड़ते देख रहा था। पूजा ने अपने चहरे को घुघट से ढक रखा था। फिर पूजा स्टेट पर चड़ी उसके लान्चे मे उसका पेर फस गया। पूजा लडख़डाई ही थी नवीन ने जल्दी से आगे बडक़र उसका हाथ पकड़ लिया। और कहा पूजा मेरी एक जिद के करण तुम्हें अपनी ही शादी में कितनी तकलीफ उठानी पड़ी। पर अब और नहीं। और नवीन ने पूजा का घुघट उठाया और उसे देखते ही रह गया सच मे पूजा तुम लाखों मे एक थी।
नवीन की मम्मी ने कहा क्या हुआ नवीन हैं न हमारी पूजा लाखों मे एक। हाँ मम्मी मैंने जो पूजा की कल्पना की थी उससे लाखों गुना बहेतर पाया हैं। मैंने ख्वाबों मे भी नहीं सोचा था पूजा इतनी खुबसूरत होगी। तुम तो खुबसूरती मे भी बेमिसाल हो। पूजा ने नवीन से कहा आपने तो मुझे बिना देखे ही अपनी जिन्दगी का इतना बड़ा फैसला किया था। गर इस घुघट के निचे इतना हसीन चहेरा नहीं होता तो। तो क्या हुआ पूजा मैंने तो तुम्हारे हर रूप से प्यार किया है। लेकिन क्यों नवीन? तुम मेरे लिए वो अजनबी थीं पूजा। जिसकी पहली बार आवाज सुनकर ही मैं उसका दिवाना हो गया था। मुझे लगा ही नहीं था तुम मेरे लिए एक अजनबी हो।
लेखिका – सैय्यद शबाना अली