Story MilanStory Milan

आज मिनल बहुत ज्यादा खुश थी। उसके पुरे घर में खुशियों भरा माहौल था। चारों तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आ रही थी। हो भी न क्यों आज वर्षों के इन्तजार के बाद मिनल की जिन्दगी में ये खुशियों का मौका आ रहा था। जब उसके बचपन का मंगेतर रवि उससे मिलने आ रहा था। वो रवि जिसका उसने अपनी जिन्दगी की हर सांस में इन्तजार किया था। जिसको वो अपनी जान से ज्यादा प्यार करती थी। जिसका उसने वर्षों से इन्तजार किया था। आज वो आ रहा था। इस एहसास से ही वो बहुत ज्यादा खुश थी।

देखते ही देखते वो वक्त भी आ ही गया जब रवि उसके घर आ गया था। मिनल अपने घर की छत पर से रवि को आते हुए देख रही थी। वो रवि को देखकर इतना ज्यादा खुश थी। लग रहा था कहीं इस खुशी में सांसे ही न थम जाए। फिर अचानक रवि की निगाह छत पर खड़ी मिनल से टकराई। वो उसे देखकर मुस्कुराने लगा। मिनल ने शर्मा के कदम पीछे कर लिये। रवि की निगाह उसे ढुढ़ती रह गई।

आखिर अब वो वक्त भी आ गया था। जब रवि मिनल के सामने खड़ा था। दोनों मिनल के घर के गार्डन में खड़े बाते कर रहे थे। दोनों के चहरे खुशियों से खिले हुए थे। वर्षों के बाद मिलने की खुशी जो थी। रवि से बात करते-करते मिनल की आंखों में आंसू आ गये थे। रवि ने कहा क्या हुआ मिनल तुम रो क्यों रही हो? आज तो हमारी जिन्दगी का सबसे बड़ा खुशियों भरा दिन है।

रवि ये तो खुशी के आंसू है। इस दिल ने तुम्हारा इतना ज्यादा इन्तजार किया है आज जब तुम मेरे सामने हो तो खुशी में आंसू झलक आये। मिनल मैं तुम्हारी आंखों में आंसू नहीं देख सकता हूं। चाहे वो खुशी में ही क्यों न झलके हो।

रवि मुझे अपनी जिन्दगी में तुम्हारे इसी प्यार की जरूरत है। ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। जल्द ही हमारी शादी होने वाली है। हां मिनल ये मेरे लिए भी खुशी की बात है।

रवि मिनल से कुछ और कहता इतने में वहां एक खुबसूरत सा खरगोश आ गया। रवि ने उस खरगोश को पकडक़र मिनल से कहा देखो मिनल कितना प्यारा खरगोश है ये। हाऊ क्यूट?

अरे रवि ये मेरी बेस्ट फै्रन्ड चंचल का खरगोश है देखना वो इसे ढुढ़ते हुए यहां आती ही होगी।

इतने में चंचल सच में वहां दोड़ते हुए आती है गांव के गरीब किसान की बेटी चंचल निहायत ही खुबसूरत थी। गांव की स्मिपल सी डे्रस में भी वो परियों सी सुन्दर दिखती थी। उसकी कथाई-कथाई झील सी आंखे ऐसा लगता था जैसे सारे जहां की खुबसूरती इसी में समाई हो।

चंचल रवि और मिनल के पास आई और रवि के हाथ से अपने खरगोश को लेते हुए कहां अच्छा हुआ अपने इसे पकड़ लिया कब से मुझे परेशान कर रहा है। फिर चंचल ने मिनल से कहने लगी अब मैं जा रही हूं मिनल शाम को आऊंगी।

बाबा खेत पर गये है। बहुत सारा काम करना है घर में खेत भी जाना है। मिनल ने चंचल का हाथ पकड़ कर कहां रूको भी चंचल अपने होने वाले जीजा जी से तो मिल लो। रवि ये चंचल है मेरी बेस्ट फै्रन्ड ये सोच लो बचपन से हम संगी बहनों की तरह रहते है।

चंचल ने रवि से सहेज अंदाज में कहां ये मेरे लिए खुशनसीबी की बात है। मिनल मुझ जैसी एक गरीब परिवार की बेटी को अपनी बहन की तरह समझती है।

इतना कहकर चंचल रवि की तरफ देखा। रवि जो चंचल के आने के बाद से बस उसे ही देख रहा था। चंचल ने जैसे ही रवि को देखा वो बदहबास सी रोने लगी। और उसके मुंह से बस इतना ही निकला विक्रम…। और वो वहां से दौड़ते हुए जाने लगी। रवि भी उसके पीछे दौड़ा अंबिका…अंबिका…रूकों अंबिका..।

रवि को इस तरह से चंचल के पीछे जाते देखकर मिनल एकदम घबरा गई। और दौडक़र रवि का हाथ पकड़ कर रवि को कहा रवि क्या हो गया है तुम्हें? वो कोई अंबिका नहीं है चंचल है मेरी बेस्ट फैं चंचल। रवि ने मिनल की तरफ देखा और अपना सर पकडक़र ऊपर की तरफ देखकर कहां अंबिका…अंबिका…।

और बेहोश होकर वहीं गीर गया। रवि को इस तरह देखकर मिनल और ज्यादा घबरा गई। और रोते हुए दौडक़र अपने घर गई। मिनल को इस तरह आते देखकर उसके भाई मिलिंद ने उससे कहा क्या हुआ मिनल तुम रो क्यों रही हो रवि कहा है? भाईया रवि गार्डन में बेहोश हो गया है। मिनल की बात सुनकर मिलिंद उसके साथ गया और रवि को उठाकर घर में लाकर लेटाया। और डॉक्टर को फोन कर के बुलाया। डॉक्टर उसे देखकर चले गये।

मिनल के पापा ने देखा रवि बेहोशी में भी अंबिका का नाम लें रहा है। उन्होंने रवि के पैरंेट्स से कहा ये अंबिका कौन है? रवि के मम्मी-पापा ने कहां हम नहीं जानते है ये कौन है? और हमारा बेटा रवि भी नहीं जानता है ये कौन है? कहां रहती है? न जाने हमारे बेटे को क्या हुआ है?

बचपन से उसे ऐसे दौरे पड़ते है और वो इसी तरह बेहोश हो जाता है। बेहोशी में इस लडक़ी का नाम पुकारता है। और फिर अचानक वो ठीक भी हो जाता है। हमने उसका बहुत इलाज कराया पर कोई हल नहीं निकला।

जब रवि को होश आता है तो हम उससे पुछते है ये अंबिका कौन है? तो वो कहता है मैं नहीं जानता हूं पापा ये कौन है? ये लडक़ी जो हमेशा मेरे ख्वाबों में आती है। वो कहती है वो मेरी जीवन संगनि है और हम जन्मों-जन्मों के साथी है।

फिर रवि के पापा ने मिनल के पापा से कहा हम इस बात से बहुत परेशान है। हमने रवि का इलाज कराया। लेकिन कोई फायदा नहीं निकला। रवि ने अपने घर पर उस लडक़ी की कई पैंटिंग बनाई है।

जो उसके रूम में लगी है। शायद उसके पर्स में भी कोई उसकी तस्वीर हो। फिर रवि के पापा ने रवि के पर्स में मिनल के पापा को अंबिका की पैंटिंग दिखाई। जो रवि ने बनाई थी। मिनल के पापा ने उस तस्वीर को देखकर हेरानी से कहां ये तो चंचल की तस्वीर है।

क्या तुम इस लडक़ी को जानते हो विरेन्द्र। हां ये हमारे गांव के एक किसान हरिश की बेटी चंचल है। ये मिनल की बहुत अच्छी दोस्त है इसलिए घर भी आती है। मैंने इसे बचपन से देखा है वहीं आंखे वहीं चहेरा हू-ब-हू चंचल ही है ये। अपने पापा के मुहं से चंचल का नाम सुनते ही

मिनल भी हेरान हो गई। उसने अपने पापा से फोटो लेकर देखी। उस तस्वीर को देखने के बाद मिनल भी हेरान थी हां पापा ये तो हू-ब-हू चंचल की तरह दिखती है। जानते है आप आज जब मैं और रवि आपस में बाते कर रहें थे तो अचानक चंचल अपने मोती के पीछे वहां आ गई। और जब उसने रवि को देखा तो उसे विक्रम कह कर पुकारा और रोने लगी और वहां से दौडक़र चली गई रवि भी उसको अंबिका कह कर उसके पीछे गया लेकिन मेरे रवि को रोकने पर वो बेहोश हो गया।

ये सब क्या है पापा? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मिनल तुम फ्रिक नहीं करों सब ठीक हो जाएगा।

फिर जब थोड़ी देर बाद रवि को होश आया तो वो अपने पापा के गले लग कर बच्चे की तरह रो रहा था। पापा वो अंबिका थी मेरी अंबिका मुझे उससे मिलना है। पापा मैं उसके बिना नहीं रह सकता हूं मैं मर जाऊंगा पापा। और रवि फिर रोने लगा।

सभालों बेटा अपने आपको। हम भी उस लडक़ी से मिलना चाहते है। जानना चाहते है आखिर कौन है वो? मिनल के पापा कहते है हम भी आपके साथ चलेगें हमें भी हकीकत जानना है।

फिर रवि उसके मम्मी-पापा और मिनल उसके पापा और भाई चंचल के घर जाते है।

चंचल के पापा उन सबको वहां देखकर घबरा जाते है। और मिनल के पापा से कहते है ठाकुर साहब आप यहां कुछ काम होता तो मुझे बुला लेते मैं आ जाता अपने क्यों तक्लीफ की। आईए बैठिए। कहिए कैसे आना हुआ?

हरिश हम यहां तुम्हारी बेटी चंचल से मिलने आये है कहां है वो? उसे बुलाओं। क्या बात है ठाकुर साहब मेरी बेटी से क्या कोई गलती हो गई है क्या? कभी ऐसी बात है मैं आपसे उसकी तरफ से माफी मांगता हूं। बिन मां की बच्ची है थोड़ी नसमझ है वो। नहीं हरिश ऐसी बात नहीं हमें उससे मिलना है बस। कुछ बात करना है उससे। बुलाओ उसे।

ठाकुर साहब अभी आप उससे नहीं मिल पाएगें। क्यों क्या हुआ? कहीं गई है क्या वो?

क्या बताऊं ठाकुर साहब उसकी तबियत ठीक नहीं हैं। सुबह से बेहोश है वो। मुझे कुछ समझमें नहीं आता मेरी बेटी को क्या हुआ है? वो बचपन से इसी तरह बेहोश हो जाती है। मैंने बहुत ईलाज कराया उसका जाड़ फूक भी करवाया लेकिन कोई फयदा नहीं हुआ।

वो इसी तरह बेहोश हो जाती है। कभी-कभी तो दो-दो दिन तक उसे होश नहीं आता है। वो कहती उसके ख्वाब में कोई दिखाई देता है। बेहोशी में भी उसका नाम पुकारती है। कभी अचानक ही काम करते हुए उसे चोट लग जाती है। एक दिन रोटी बनाते वक्त उसके हाथ से खुन निकल रहा था। फिर मैंने उसे एक बाबा को दिखाया तो उसने उसकी कुड़ली देखकर बताया।

चंचल के बेहोश होने और उसका ख्वाब में किसी का दिखाई देना उसका पुर्नजन्म का नाता है। जो उसे ख्वाब में दिखता है वो उसका जन्मों-जन्मों का प्रेमी और पति है। उसी का नाम विक्रम है। ये हर जन्म में मिलते है फिर विवाह कर के साथ रहते है जिस जन्म में इनका मिलन नहीं हो पाता है। ये साथ-साथ मर कर अपने प्रेम को अमर कर देते है।

आज सुबह जब मैं खेत में काम कर रहा था तो चंचल रोती हुई वहां आई और उसने कहां आज उसने उसी इंसान को देखा है जो उसके ख्वाबों में आता है। इससे पहले मैं उससे और कुछ कहता वो बेहोश हो गई। तब से उसकी ऐसी ही हालत है।

रवि ने चंचल के पापा की बात सुनकर उसके पास गया। वो उसके सिराने जाकर बैठ गया। सब उसके पीछे वहां पहुंचे।

रवि ने चंचल के सर पर हाथ रखकर कहां अंबिका होश में आओं देखों मैं तुम्हारा विक्रम तुम से मिलने आया हंू। थोड़ी देर बाद चंचल को होश आ जाता है वो रवि को अपने पास देखकर रोने लगती है। रवि उससे कहता है घबराओं नहीं अंबिका अब मैं आ गया हूं। मैं तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा। मैं तुमसे ही शादी करूंगा।

मिनल रवि की बात सुनकर रोने लगती है और वहां से जाने लगती है। मिनल का भाई गुस्से में रवि पर हाथ उठाने लगता है। मिनल उसे रोक देती है। और कहती है नहीं भाईया इसमें रवि की गलती नहीं है दौष मेरी किस्मत का है। मैं इन दोनों के बीच में आ गई थी। जो मेरा कभी था ही नहीं उसको पाने के ख्वाब देख रही थी।

रवि के पापा कहते है नहीं बेटा हम सब इन बातों को नहीं मानते है। हमारे लिए तुम ही हमारी बहु हो। मिनल कहती है। नहीं मुझे रवि पर भरोसा है इसलिए वो उन दोनों के बीच नहीं आना चाहती हूं।

फिर मिनल रवि और अपने पापा से रवि और चंचल की कुड़ली से उनके जीवन के बारे में पता करने को कहती है। सब उसकी बात मानकर सच्चाई जानने की कोशिश करते है। और सच्चाई जानने के बाद मिनल के कहने पर ही रवि और चंचल की शादी के लिए सब राजी हो जाते है।
सब सच्चाई जानने के बाद खुशी-खुशी चंचल और रवि की शादी करने लगते है।

लेकिन मिनल का भाई मिलिंद इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाता है। कि जिस रवि को उसकी बहन बचपन से इतना ज्यादा प्यार करती है और जिससे उसकी शादी होने वाली थी वो रवि किसी और से शादी करें। और वो गुस्से में फैसला करता है रवि कभी उसकी बहन का नहीं हुआ तो वो उसे किसी और का भी नहीं होने देगा।वो रवि को जान से मारने का फैसला करता है। लेकिन ये बात मिनल को पाता चल जाती है।

जब रवि की बारात चंचल के घर पहुंचने ही वाली थी मिलिंद वहां पहुंच जाता है। और रवि को मारने लगता है। जब दुल्हन बनी चंचल को ये बात पता चलती है वो बदहवास सी दौड़ते हुए वहां पहुंचती है।

मिलिंद चंचल को वहां देखकर और गुस्से में आ जाता है। और चंचल को भी मारने लगता है। वो चंचल रवि दोनो को जान से मारना चाहता है। इसलिए उनपर गोली चलाता है। लेकिन मिनल बीच में आ जाती है। और गोली मिनल को लग जाती है।

मिनल को घायल देख मिलिंद बंदुक फैक देता है। मिनल से कहता है ये क्या किया तुमने मिनल? मेरा प्यार मेरी जिन्दगी है भाईया। मैं उसे खोकर नहीं जी सकती हूं। आपको क्या लगता था आप रवि की जान लेकर मिनल को नई जिन्दगी दें पायेगें।

नहीं भाईया ऐसा कभी नहीं हो सकता है। कोई गोली मिनल के सीने को चीरे बिना रवि तक नहीं पहुंच सकती है। मैं जा रही हूं भाईया मुझसे वदा करो आप अब कभी रवि चंचल को परेशान नहीं करोगें। उन्हें चैन के साथ जीने दोगे। ये सोचना आपकी छोटी बहन की आखरी इच्छा है ये। नहीं मिनल ऐसा मत कहों तुम्हें कुछ नहीं होगा। नहीं भाईया अब बस अब नहीं रूक सकती हूं मैं।

फिर रवि और चंचल मिनल के पास आते है। रवि कहता है नही मिनल मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दुंगा। तुम ठीक हो जाओगी। नहीं रवि मेरे लिए यहीं खुशी की बात है आखरी लम्हे पर तुम मेरी आंखों के सामने हो। और कुछ नहीं चाहिए मुझे।

चंचल मिनल का हाथ पकडक़र कहती है। मिनल हमे छोडक़र मत जाओं हमें जिन्दगी के हर मोड़ पर तुम्हारे साथ की जरूरत है। तुम रवि से शादी करना चाहती हो ना मैं खुद तुम्हारी रवि से शादी कराऊंगी। फिर दोनो साथ में रहेगें। तुम्हे कुछ नहीं होगा। हाँ मिनल चंचल ठीक कह रही है। हम सब साथ रहेगें तुम्हे कुछ नहीं होगा।

नहीं चंचल अब नहीं इस जन्म में ये नहीं हो सकता है। लेकिन तुम जन्मों-जन्मों के साथी हो हर जन्म में मिलते हो एक दुसरे को याद रखते हो अगले जन्म में हम तीनों साथ रहेगें। चंचल तुम मुझसे वादा करों अगले जन्म में तुम अपने रवि की शादी मुझसे कराओंगी। हाँ मिनल मैं तुमसे वादा करती हँू अगले जन्म मेें तुम्हारी शादी रवि से कराऊंगी।

चंचल से वादा लेकर मिनल की मौत हो जाती है। चंचल रवि की शादी हो जाती है। और वो अपनी जिन्दगी में खुश रहने लगते है। लेकिन वो हमेशा मिनल को याद करते है।

सालों के फेर के बाद आज फिर विक्रम और अंबिका एक नये रूप में एक दुसरे के आमने-सामने है।

राज के दोस्त विवेक की शादी का ये मौका है। राज अपने दोस्त की खुशियों में शामिल होने के लिए लंदन गया है। लंदन के मार्केट में उसकी निगाह रोज पर गई वो उसे देखता ही रह गया। लेकिन कुछ ही पलो में रोज उसकी आंखों से ओझल हो गई। अब वो शाम तक दिवानों की तरह रोज को ढूंढता रहा वो नहीं मिली।

फिर राज थककर अपने दोस्त विवेक के घर पहुंचा। अरे यार राज तुम सुबह से घर से निकले थे अब यहां पहुंचे हो कहां थे अब तक तुम तुम्हारा मोबाईल भी बंद था। जानते हो मैं कितना परेशान हो गया था। हाँ यार मैं भी परेशान ही था।

क्या बताऊं जब यहां आ रहा था मुझे मार्केट में एक लडक़ी दिखाई दी। उसे देखकर ऐसा लगा जैसे में उसे जन्मों-जन्मों से जानता हुँ। एक अजीब सी कशीश थी उसकी आंखों में मैं उसकी तरफ खीचता चला गया। मैं उसे ढूंढतें हुए कितनी दुर निकल गया मुझे एहसास ही नहीं हुआ। लेकिन वो नहीं मिली।

अरे यार ये बहुत बुरा हुआ बट इट्स ओके। डोन्ट वरी हो सकता है वो तुम्हे दुबारा मिल जाए। हाँ यार ऐसा हो जाए मैने उसे एक बार देखा है। लेकिन दिल उसको मिलने के लिए बेचैन है।

शाम को विवेक की शादी थी। किस्मत ने एक बार फिर उन दोनों को आमने-सामने ले आई थी। विवेक ने राज से कहा अरे यार देखो कैसा लग रहा हुंँ मैं। राज मैं तुमसे बात कर रहा हुँ। कहां खोए हुए हो तुम। हां विवेक देखो ये वहीं लडक़ी है। जिसके बारे में मैने तुम्हे बताया था। अच्छा ये तभी मैं सोच रहा था तुम एक बार में इस लडक़ी के दिवाने कैसे हो गए वो है ही ऐसी एक बार जो भी देख ले उसका दिवाना हो जाए। जानते हो वो मेरी साली है रोज।

अच्छा विवेक ये तो मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। फिर विवेक ने राज को रोज से मिलाया। जल्द ही दोनो अच्छे दोस्त बन गए।
जैसे-जैसे दिन गुजर रहे थे। राज और रोज को अपने पुराने जन्मों की याद आती जा रही थी।

वो दोनों ये जानकर बहुत खुश थे। के वो जन्मों-जन्मों के साथी है। आखिर जल्द ही वो दिन आ ही गया। जब राज और रोज की शादी हो गई। अब राज और रोज एक दुसरे के साथ खुश रहने लगे।

लेकिन एक दिन रोज मार्केट जा रही थी। कि अचानक उसकी कार एक दुसरी कार से टकरा गई। कार से निकल कर एक लडक़ी रोज के पास आई। रोज उसको देखकर हेरान थी। ये मिनल थी। वो लडक़ी रोज को नहीं पहचान पाई। लेकिन रोज ने उसे पहचान लिया। वो रोज को सुनाए जा रही थी। रोज चुपचाप उसे हेरानी से देख रही थी।

तुम पागल हो क्या ऐसे क्यों देख रही हो मुझे। देख रही हो मेरी गाड़ी का क्या हाल किया है तुमने? तुम सुन रही हो मैं तुमसे कह रही हूँ। रोज ने हैरानी से कहा मिनल…। मिनल तुमने मुझे पहचाना मैं तुम्हारे बचपन की सहली चंचल हूँ। सॉरी मेरा नाम मिनल नहीं रिया है। रिया अग्रवाल।

हां मिनल मैं मानती हूँ। तुम्हारा इस जन्म में नाम रिया है। मैं तो पिछले जन्म की बात कर रही हूँ। अभी मेरा नाम रोज है। लेकिन पिछले जन्म में मेरा नाम चंचल था। और तुम मेरी अच्छी दोस्त थी। मिनल। मिनल ठाकूर।

सॉरी तुम किस दुनिया में जीती हो मेरे समझमें नहीं आ रहा है। मिनल तुम्हें कुछ याद नहीं लेकिन मुझे सब याद है। मुझे अपना किया वादा याद है। तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हे रवि से मिलाती हूँ वो भी तुम्हे मिनल के रूप में पहचानेगें। सॉरी रोज रिया खीजकर वहां से चली जाती है।

रोज वहां से सीधे राज के पास गई। अरे रोज तुम इस वक्त यहां। हां राज मुझे तुमसे एक जरूरी बात करना था। राज आज जब मैं मार्केट जा रही थी तो मुझे रास्ते में मिनल मिली थी। हू-ब-हू वहीं चेहरा वहीं आंखे वहीं आवाज मुझे उसे देखकर बहुत खुशी हुई।

राज आज मैं बहुत खुश हूं अगर मुझे मिनल मिल गई है तो मैं उससे किये वादे को पुरा कर पाऊंगी। वट प्रॉब्लम ये है मैंने उसे पहचान लिया है। लेकिन वो मुझे नहीं पहचान पाई । लेकिन मैंने डिसाईड किया है मैं उसे सब याद दिलाऊंगी। और तुमसे उसकी शादी करके अपना वादा पुरा करूंगी।

रोज तुमने ही तो कहा है मिनल को इस जन्म में कुछ भी याद नहीं है। तो तुम भी सब कुछ भुल क्यों नहीं जाती हो। रोज मैं तुम्हारे साथ खुश हूं। मैं हमारे बीच में किसी को नहीं आने देना चाहता हूं।

नहीं राज ये सही नहीं है। मैंने मिनल से वादा किया था। मैं उसको सब कुछ याद दिलाने की कोशिश करूंगी प्लीस राज।
दिन यूंही गुजरते जा रहे थे। रोज यहीं सोच रही थी अब कैसे मिनल से मिल पाऊंगी।

इसी बीच राज का बर्थ डे आ गया। राज के बर्थ डे दिन रोज बहुत खुश थी। वो चाहती थी आज के दिन वो राज की जिन्दगी को खुशियों से भर दें। इस खुशी के दिन राज के मम्मी-पापा ने राज के लिए एक बड़ी पाटी प्लान की थी।

उस पाटी में रिया भी आई थी। राज के पापा ने रिया को रोज से मिलवाया। रिया बेटा ये रोज है राज की वाईफ रिया रोज दोनों एक दूसरे को हेरानी से देख रही थी। रिया ने राज के पापा से कहा ये राज की वाईफ है।

तारिफ तो बहुत सुनी थी। रिया अच्छा हुआ तुम आज मुझे मिल गई मैं तुमसे दुवारा मिलना चाहती थी। क्यों तुम मुझसे क्यों मिलना चाहती थी। क्योंकि मैं जानती हो तुम ही मिनल हो। वो मिनल जो मेरे बचपन की फै्रन्ड थी। फिर रिया अपने और उसके पूर्नजन्म के बारे में उसे बताया और उससे कहा रिया रवि ही इस जन्म में राज है इसलिए मैं इस जन्म में राज से तुम्हारी शादी कर के तुम से किये वादे को पुरा करना चाहती हूं।
तुम पागल तो नहीं हो रोज तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हारी इस कहानी पर विलिव करके राज से शादी करने के लिए तैयार हो जाऊंगी मुझे तुम पुरी तरह पागल लगती हो।
मैंने सुना था राज और तुम्हारी लव मैरीज है। लेकिन आज तुम्हारी बात सुनकर मुझे राज पर तरस आ रहा है। उसने कैसे तुम जैसी पागल लडक़ी से शादी कर लीं।
रिया मैं पागल नहीं हूं। सच कह रही हूं मैं। तुम्हें मेरी बात का यकिन नहीं है तो मैं तुम्हें राज से मिलाती हूं। फिर रोज रिया को राज से मिलवाया।
राज ने भी रिया को मिनल के रूप में ही पहचान लिया। लेकिन उसने रिया से कहा रिया तुम फ्रिक नहीं करों मैं रोज को समझाऊंगा। वो तुम्हें परेशान नहीं करेगी मैं मानता हूं तुम ही मिनल हो लेकिन मैं रोज के साथ खुश हूं मैं तुमसे शादी नहीं करना चाहता हूं। तुम अपनी जिन्दगी में खुश रहों यहीं चाहता हूं।

इतने में वहां रोज आती है। और मिनल से कहती है मिनल राज कुछ भी कहे मैं तो यहीं चाहती हूं तुम्हारी शादी राज से करके मैं अपना वादा पुरा करूं। इतना कहर रोज राज से कहती है सॉरी राज और अपना हाथ रिया के सामने करके अपनी हथेली पर चाकू से बार करती है।

रिया देखती है रोज के हाथ से खुन निकल रहा है। वो उसका हाथ पकड़ कर कहती है। तुम पागल तो नहीं हो इस तरह से तुम अपने आपको तकलीफ पहुंचा कर क्या सावित करना चाहती हो। क्या तुम इस तरह से खुद को तकलीफ पहुंचाकर मुझे ये एहसास दिला सकती हो मैं मिनल हूं।

रोज ने रिया की तरफ देखकर कहां खुद को नहीं अपनी जान को भी। रोज की आंखों में आंसू थे। और रोज ने राज का हाथ रिया के सामने किया राज के हाथ में भी रोज की तरह हू-ब-हू जख्म था और खुन बह रहा था। रिया हेरानी से राज और रोज की तरफ देखने लगी।
फिर राज ने कहा रिया ये सच है हम जन्मों-जन्मों के प्रेमी है।

इसलिए हमारा जिस्म एक दूसरे की तकलीफ बरदाश्त नहीं कर सकता है। सॉरी रिया वट यहीं सच है। लेकिन अभी मैं तुमसे यही कहना चाहता हूं। मैं अपनी रोज के साथ खुश हूं। मैं तुमसे शादी नहीं करना चाहता हूं।

प्लीस रिया तुम रोज के इस दिवानेपन का कुछ हल निकाल सकती हो क्या? मुझे समझ में नहीं आ रहा है वो ऐसा क्यों कर रही है। मैं उसके बिना जिन्दा नहीं रह सकता हूं। वो जानती है फिर भी वो ऐसा कर रही है।

उस दिन रिया पुरी रात नहीं सौ पाई। फिर दूसरे दिन उसने रोहित से सारी बात बताई। रोहित जो इस जन्म में उसका मंगेतर है। रोहित ने रिया से कहा क्यों न हम तुम्हारे पिछले जन्म के बारे में पता करें।

फिर रिया रोहित रिया के पिछले जन्म के बारे में पता किया अब सच्चाई उसके सामने थी। तो फैसला भी उसको ही करना था वो अपने पिछले जन्म के प्यार से शादी करना चाहती है या इस जन्म में जिससे वो प्यार करती उसका साथ निभाना चाहती है।

फिर रिया रोज से मिलने का फैसला किया और उससे जाकर कहा रोज मैं अब अपने पिछले जन्म के बारे में सब कुछ जान गई हूं। सच्चाई जानने के बाद मैं भी कशमाशस में हूं के मैं क्या करूं। रवि जिसका मैंने वर्षों तक इन्तजार किया था फिर भी उसे न पा सकी उसका साथ निभाऊं। या रोहित जो आज हर मोड़ पर मेरे साथ है उसका साथ निभाऊं।

लेकिन बहुत सोच समझकर मैंने ये फैसला किया है। प्लीस चंचल मुझे अपने वादे से आजाद कर दो। मैं रोहित के बीना नहीं जी सकती हूं। मैं उसी से शादी करना चाहती हूं। प्लीस एक बार फिर मुझे मेरे प्यार से दूर मत करों। और रिया रोने लगी।

रोज ने उससे कहा नहीं नहीं रिया अगर तुम रोहित से प्यार करती हो तो मैं तुम्हें मजबूर नहीं करूंगी तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है। हां लेकिन मैं चाहती हूं। मैं तुम्हारी और रोहित की शादी करूं। अब रोहित रिया दोनों खुश थे। राज भी रोज के फैसले से खुश था।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश