Christmas Day Special
दिसंबर की सर्द मौसम की सुबह थी। चारों तरफ कोहरा सा छाया था। हाथ को हाथ नजर नहीं आ रहा था। ठंड इतनी थी लग रहा है ठंड से हाथ पैर सुन हो रहे है। शीतलहर से हर कोई कांप रहा था।
अंश को भी आज बहुत ज्यादा ठंडी लग रही थी। लेकिन वो देख रहा था उसकी मम्मी इतनी ज्यादा ठंड में बिना स्वेटर पहने अराम से काम कर रही है। ठंड तो उन्हें भी लगती है लेकिन क्या करे वो मजबूर है?
अब थोड़ी धुप निकल आई थी तो ठंड से थोड़ी राहत मिली थी। अंश अपने छोटे से घर के सामने आकर खड़ा हो गया था।
इतने में उसका दोस्त राजू उसके पास आया उसने अंश से कहा अंश यहां क्यों खड़े हो मेरे साथ चलो आज क्रिसमस डे है। पास के चर्च में सांता क्लॉस आये है। वो बच्चों को गिफ्ट दे रहे हैं। जल्दी चलो अंश चॉकलेट और केक भी खाने को मिलेगा।
मैं नहीं जा रहा हूं राजू तुम चले जाओ। चलो न यार तुम नहीं जाओगे तो अच्छा नहीं लगेगा। सब बच्चे जा रहे है। अंश का दिल नहीं था फिर भी वो राजू और सब बच्चों के साथ वहां चला गया।
चर्च के सामने सांता क्लॉस बच्चों को चॉकलेट केक और गिफ्ट दे रहे थे। सभी बच्चे खुशी-खुशी ले रहे थे।
लेकिन अंश दूर खड़े सबको देख रहा था। उसके चेहरे पर उदासी छाई थी। सांता क्लॉस ने अंश को अपने पास बुलाकर कहा बेटा तुम क्यों वहां उदास खड़े हो क्या तुम्हें गिफ्ट नहीं चाहिए ये लो। नहीं मुझे ये नहीं चाहिए।
क्यों बेटा इसमें बहुत सारी चॉकलेट है केक है। और तुम्हारे लिए गिफ्ट तुम्हें पसंद नहीं है क्या? पसंद तो है। लेकिन नहीं चाहिए।
क्यों नहीं चाहिए। नहीं मुझे नहीं चाहिए। इस सबकी मुझे जरूरत नहीं है। अच्छा बेटा तुम्हें ये नहीं चाहिए तो मुझे बताओं क्या चाहिए मैं सांता क्लॉस हूं तुम मुझसे जो मांगोगे तुम्हें दूंगा।
अंश हल्का सा मुस्कुराया और हसरत भरी निगाह से सांता क्लॉस की तरफ देख कर मासूमियत से कहा अच्छा मैं आपसे जो मांगूगा आप वो दे सकते हो।
हाँ बेटा बताओं तुम्हें क्या चाहिए। मुझे मेरे मम्मी-पापा के लिए गर्म स्वेटर और साल चाहिए। मेरी मम्मी रोज इतनी ज्यादा ठंडी में यूंही काम करती है। मुझे मालूम है उन्हें भी ठंड लगती है। पापा भी जब मजदूरी करने जाते है तो स्वेटर नहीं पहनते है क्यों कि स्वेटर नहीं है उनके पास।
बेटा तुम्हारी भी तो स्वेटर कितनी फट गई है क्या तुम्हें नई स्वेटर नहीं चाहिए। नहीं अभी मेरी तो ठीक है। मम्मी कहती है स्वेटर बहुत महंगी आती है। आप बस उनके लिए ही दे दो।
चर्च के सामने खड़े सब लोग अंश की मासूमियत भरी बाते सुनकर हेरानी से उसकी तरफ देख रहे थे।
सांता क्लॉस बने उस शख्स ने अंश को गोदी में उठाया उसे लेकर मार्केट गये और उसकी मम्मी-पापा और उसके लिए स्वेटर दिलाई और फिर उसको गिफ्ट दे कर कहा अब तुम ये सब ले सकते हो। अंश ने खुशी-खुशी सब ले लिया। सांता क्लॉस बच्चे की मासूमियत देख खुश थे।
फिर अंश अपने घर चला गया। वो बहुत खुश था। सांता क्लॉस भी उसके पीछे-पीछे उसके घर तक चले गये। वो अंश की असली खुशी देखना चाहते थे।
अंश ने अपनी मम्मी को स्वेटर देकर कहां मम्मी देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं। स्वेटर..। बेटा ये तुम कहां से लाये ये तो बहुत महंगी होगी। आज क्रिसमस डे है चर्च के पास सांता क्लॉस आये थे उन्होंने ही मुझे दी है। उन्होंने चॉकलेट और केक भी दिये है। मम्मी ये सांता क्लॉस कौन है?
बेटा ये बच्चों से बहुत प्यार करते है इसलिए बच्चों की हर ख्वाहिश को पुरा करते है। हर साल क्रिसमस डे के दिन आते है। और बच्चों को गिफ्ट और चॉकलेट देते है।
मम्मी ये साल भर में एक बार ही क्यों आते है? रोज क्यों नहीं आते? अगर रोज आते तो तुम्हें इतने दिन ठंडी में काम नहीं करना पड़ता।
अंश की मम्मी ने उसे अपनी बहो में भर लिया उनकी आंखों में आंसू थे। सांता क्लॉस की आंख में भी आंसू आ गये थे। वो यही सोच रहे थे।
अंश जैसे बच्चों को रोज ही एक सांता क्लॉस की जरूरत होती है। जो उनकी तकलीफों को समझ सकें उनके दर्द को दूर कर सकें।