अल्लाह पाक की रहमतों के साये में,
आज फिर दिल मुस्कुराया,
रमजान आया…रमजान आया…
इन्तजार की घडिय़ा अब लफजों में सिमटने लगी है,
दिल को भी अब सज्दों में बड़ा लुत्फ आया,
रमजान आया…रमजान आया…
जन्नत के दरवाजे खुल गये है,
रहमतों की बरसात होने लगी है,
बक्सीश का तलबगार है हर दिल,
पुरी दिल की मुराद होने लगी है,
हर से ने अब यही गीत गुनगुनाया,
रमजान आया…रमजान आया…
अल्लाह की शाने करीमी जहीर होने वाली है,
गुनाहगार ने भी नादीम होकर सर सज्दे में झुकाया,
रमजान आया…रमजान आया…
मस्जिदों में रौनक है अब कुरान से
’तरावीह’ में जब कुरान सुनाया,
सर सज्दें हमने फिर यू झुकाया,
अल्लाह की हर नमतों का शुक्रअदा करने का ये मुकाम आया,
रमजान आया…रमजान आया…
पुरनूर है अब सहेरी और अफतार की रौनके,
हम खुशनसीब है अल्लाह ने हमें हुजूर सा. का उम्मती बनाया,
जितना शुक्रअदा करें अल्लाह की हम पे इस रहमत का,
दिल ने उसे कम ही पाया,
रमजान आया रमजान आया,