भारत देश में माता पिता एक घने बरगद के पेड़ के समान होते थे जिसमें पिता वहां तना होता था जिसके कांधों पर घर की सारी जिम्मेदारी रहती थी। और मां पेड़ की तरह घना साया होती थी जिसकी छांव में बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते थे। पहले भारत में पिता और पितामहा की परंम्परा चलती थी जो कि वर्तमान समय में लुप्त होते जा रही है। हमारे भारत देश की संस्कृति और संस्कारों की विदेशों तक चर्चा की जाती थी यह के संस्कार में बुर्जुगों की सेवा को परम कर्तव्य माना जाता है। ये वो भारत देश है जहां माता पिता को पूजा जाता है उनकी आज्ञा के बिना घर में कोई काम नहीं किया जाता है।
आज वर्तमान समय में हमारे देश को पता नही किस की नजर लग गई है कि आज की युवा पीढ़ी अपने ही माता पिता को बोझ समझने लगी है अक्सर सोशल मीडिया पर कई विडियों वायरल होता है जिसमें दिखाया जा रहा होता है कि किस तरह एक बेटा अपने मां बाप को उनके ही बनाये हुए घर से बेदखल कर देता है और झुट फरेब करके उनकी वसीयत अपने नाम करा लेते है और कुछ दिनों बाद उनकी सम्पत्ति को बेच देते है और बेचारे मां बाप या तो फुटपाथ पर भीख मांग रहे होते है या फिर वृद्धाआश्रम की श्ररण लेते है।
कभी लाखों की संपत्ति के मालिक कहलाने वाले इंसान अपनों से ही धोखा खाकर दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो जाता है। जिन्दगी उस मुकाम पर आ जाती है। जहां अपनों के सताने का दर्द ऐसा जहर बन जाता है। जिसके साये वो पल-पल मौत से लडऩे को मजबूर हो जाते है। लेकिन उनके अपनों को उन पर तरस नहीं आता है। क्या यही है हमारे देश के संस्कार कभी जिस पर हमें गर्व था। और हम बचपन से जिसे अपने अस्तित्व में उतारते आये है।
ऐसे तो वर्तमान सरकार ने बुजुर्गो के लिए पेंशन महिलाओं के लिए विधवा पेंशन आदि योजनाएं शुरू की है। जिसकी वजह से बुजुर्गाे को काफी राहत महसूस हुई है। पेंशन के पैसो से ये बुजुर्ग व मुश्किल गुजारा कर पाते है क्योंकि जो बुजुर्गों को पेंशन मिलती है उतने पैसो में इस मेंहगाई के दौर में खाना खर्चा ही व मुश्किल चला पाते है। इसके अलावा बुजुर्गो के साथ बीमारी का भी खर्चा लगा रहता है आजकल दवाई गोलीयां इतनी मंहेगी हो गई है कि आम इंसान की पहुंच से दुर है इसके बावजुद ये बुजुर्ग किसी तरह जीवन यापन कर रहे है।
लेकिन सरकार द्वारा इनके लिए एक और नई मुसीबत खड़ी कर दी गई है। वर्तमान समय में बैंक खातों को मोबाईल से लिंक करना जरूरी कर दिया गया है जिसकी वजह से इन बुजुर्गो पर एक नई मुसीबत आ गई है बेचारे बुजुर्ग जो व मुश्किल से अपना खर्चा चलाते है। जो सरकार द्वारा दी गई पेंशन पर ही गुजारा करते है। उनके पास वह कहां से स्मार्ट फोन या ये भी मान लो कि छोटा मोबाइल ही ये कहा से इसकी व्यवस्था करेंगें क्योकि इनके पास इतने पैसे तो नहीं है की मोबाइल ले लें और हर महिने का उसका रिचार्ज कराएं। और अपने खाते को अपने मोबाइल से लिंक करा लें।
ऐसे में इन बुजुर्गो को अपने परिजन जैसे बेटा-बहु ,पोता-पोती या बेटी के मोबाइल से खाता लिंक कराना पढ़ता है। और जब इन बुजुर्गो के पेंशन के पैसे खाते में आते है तो सबसे पहले इसका मैसेज इन परिजनों के मोबाईल में आता है जिसकी वजह से इनको अपने माता पिता के पैसों की सारी जानकारी मिल जाती है और ये लोग कुछ भी बाहना बना कर इनके पैसे छीन लेते है।
सरकारी नौकरी की पेंशन पाने वाले बुजुर्गों का तो हाल बद से बदतर हो जाता है। क्योंकि उनको पेंशन ज्यादा पैसे मिलते है। जिसपर परिजन ज्यादा आटेक करते है। और उनको दाने-दाने के लिए महताज कर देते है। ऐसे बुजुर्गों बहु-बेटे खाने तक नहीं देते है। सारे पैसे खुद ही रख लेते है। बैंक के एटीएम पर तो हमेशा बेटा-बहु का कबजा होता बैंक को क्या पैसे कोई भी निकाले। सरकार की तरफ से बैंको को ये नोटिस देना चाहिए जिन बुजुर्गों का एटीएम कार्ड है। उन्ही को पैसे निकालने की इजाजत होनी चाहिए। ताकि समाज में हो रहा बुजुर्गों का शोषण बंद हो सकें।
पहले ऐसा नहीं होता था क्योकि कितने भी बुजुर्ग ही क्यों न हो जब ये पैसे निकालने बैंक जाते थे तो इनके पैसे सीधे इनके हाथ में आ जाते थे और इनके रिश्तेदारों को पता भी नहीं चलता था। और इनके बैक खातों में जो पैसे रहते थे उसकी जानकारी सिर्फ इनकों ही रहती थी। जिससे इनका पैसा सेफ था लेकिन जब से सरकार द्वारा बैंक खातों को मोबाइल से लिंक कराया गया है। और एटीएम कार्ड का चलन शुरू हुआ। जब से ये बुर्जुग काफी परेशान है। कई बुजुर्गो से मुलाकात हुई है जिन्होंने बताया कि जब से उनका बैंक खाता मोबाइल से लिंक हुआ है उनके पैसे जैसे ही खाते में आते है उनके परिवार वाले उनके पैसे ले लेते है। और उन्हें इलाज के लिए भी बिल्कुल पैसे नहीं देते है। खाना पीना भी बंद कर देते है।
ये मामला सिर्फ उन बुजुर्गों का ही नहीं है जिनकों वृद्धावस्था में पेंशन मिलती है यहीं मामला उन पेंशन वाले बुजुर्गो में भी देखने को मिला है जिनकों सेवानिवृती के बाद पेंशन मिलती है। बहुत से सेवानिवृती हो चुके कर्मचारियों की विधवा पत्नियों को भी पेंशन मिलती है। लेकिन यहीं मामला इन बुजुगों के साथ भी हो रहा है। कुछ मामलों में देखा गया है कि जिन बुजुर्गो को या इनकी पत्नियों को जो सेवा निर्वत पेंशन मिलती है उनके बैंक खातों के एटीएम इनके बेटे-बहु रख लेते है और हर महीने की पेंशन ये निकाल लेते है।
यहां तक देखा गया है कि उनके पैसों से इनका घर खर्चा चल रहा होता है लेकिन जब ये बुजुर्ग बीमार हो जाते है तो उनके खुदके पैसों में से भी उनका इलाज नहीं कराया जाता और ये बेवस लाचार बुजुर्ग जिनका अपना खुदका पैसा होने के बावजुद इलाज के लिए तरसते नजर आते है। कई घरों का तो ऐसा हाल है। इन बुजुर्गो को खाने को भी ठीक से नहीं दिया जाता है। खाना मागने पर मारा पिटा जाता है। बुरा भला कहा जाता है। बिचारे ये बुजुग लोकलाज के डर से घर में सहमें-सहमें से रहते है। किसी से कुछ नहीं कहते है सोचते है। एक वक्त था जब अपने पैसों पर इन्ही बच्चों पाल पोश कर ऐश से रखते थे। आज यही बच्चें बड़े होकर उन्हें ये दिन दिखा रहे है।
कुछ विधावा महिलाएं ऐसी भी मिली जिन्होने अपनी सारी उम्र मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों को पालती है। अब बच्चें बड़े हो गए उनका अपना परिवार बन गया। लेकिन ये बुजुर्ग महिलाएं इस उम्र में भी मेहनत मजदूरी करके अपना खर्चा चलाने को मजबुर है क्योकि जो पेंशन सरकार द्वारा मिलती है वह पेंशन इनके बच्चें रख लेते है और ये बेचारी महिलाएं इस उम्र में भी काम करना पढ़ रहा है कुछ महिलाएं ऐसी है जिनसे काम नहीं बनता उनकी तो और भी बुरी हालत है।
सरकार को चाहिए की कोई ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि इन बुजुर्गो को पेंशन के पैसे सीधे इनके हाथ मेें पहुंचे और इनके खातों कि जानकारी सिर्फ इन बुजुर्गो तक ही रहे कि उनके खातो में कितना पैसा जमा है। वैसे ज्यादा से ज्यादा बुजुर्ग ऐसे होते है जिनको मोबाइल या एटीएम नहीं चलाते आता है। ऐसे में बुजुर्ग की समस्या ज्यो की त्यों बनी रह सकती है। इस लिए वर्तमान सरकार को चाहिए की पुरानी व्यवस्था के अनुसार सिर्फ बुजुर्गो के लिए ऐसी व्यवस्था हो के उनको बैंक द्वारा अपना पैसा हाथ में मिल सकें। और अगर ज्यादा दिनों तक कोई बेटा अपने माँ- बाप का बैंक अकाउंट या एटीएम का उपयोग कर के पैसा निकाल रहा है तो उससे उसकी सारी जानकारी लीं जाए के वो क्या जॉब करता है। उसके मम्मी-पापा क्यों पैसे लेने नहीं आ रहें है।
क्योंकि ज्यादा से ज्यादा ऐसे लोग नकारे और निठल्ले होते है। जो अपने माँ-बाप के पेंशन पर ही अपना जीवन यापन कर रहें होते है। और साथ पैसों के लिए अपने अभिभावकों परेशान भी कर रहें होते है। आज घर-घर में ये समस्या मौजूद है। जिसको लेकर वर्तमान सरकार को कोई हल निकालना चाहिए। क्योंकि समस्या उन्हीं की बनाई गई है। वक्त रहते हल भी उन्हें ही निकालना चाहिए। ताकि बुजुर्गो को इस मुसीबत से निजात मिल सकें।
Syed Reshma Ali
Harda (M.P)