Harda News : हरदा जिला अस्पताल राम भरोसे चल रहा है। 5 से 6 बजे के बीच सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलते हैं। काउंटर से रसीद बनाई जाती है मरीज को देखने के लिए डॉक्टर उपस्थित नहीं रहते हैं। मरीज अस्पताल में इधर-उधर भटकते आसानी से देखे जा सकते हैं। उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं है।
जिला अस्पताल जिला मुख्यालय से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मगर डॉक्टर के संज्ञान में लेने के लिए जिला प्रशासन को फुर्सत नहीं है। हरदा कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने जब से कार्यभार संभाला है तब से हरदा के अस्पताल की हालत और देनी होती जा रही है। दूधराज से ग्रामीण अंचल से आने वाले मजदूर एवं आदिवासियों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकते मिलते हैं।
अस्पताल के कर्मचारी भी उनकी कोई मदद नहीं करते हैं मनमोहन सरकार मध्य प्रदेश में अस्पतालों पर बहुत पैसा खर्च करने का दावा कर रही है । पर अस्पताल के स्टाफ के डॉक्टर ऑन डयूटी की निगरानी के लिए कोई विकल्प व्यवस्था नहीं बना कर रखी है की डॉक्टर कब आते हैं कब जाते हैं ?
इसका कोई ध्यान नहीं देता सरकारी अस्पताल के डॉक्टर निजी अस्पतालों में अपनी हाजिरी लगाकर अपने घर में पैसा बना रहे हैं। कुछ डॉक्टर तो मरीज से कहते हैं कि आप किसी निजी अस्पताल में आकर दिखा देना सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी अस्पताल के सभी डॉक्टर निजी है अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं हरदा के जनप्रतिनिधि भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं
जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया है अब मैरिज की मजबूरी हो जाती है वह फिर डॉक्टर के घर पर जाकर इलाज करवा कर मोटी फीस देखकर अपने को ठगा महसूस करते हैं ।
गरीब तबके के मरीज के सामने पैसे का संकट रहता है वह अस्पताल से बैरंग लौट जाते हैं। कोई सुनवाई नहीं होती है। दूसरे दिन फिर वह अपने मरीज को लेकर अस्पताल के चक्कर लगाते हैं क्या जिला प्रशासन इन डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई करेगा या यूहीं मौन धारण कर बैठा रहेगा।
हरदा के CHMO का दायित्व है कि कौन डॉक्टर किस समय आ रहा है इस समय जा रहा है इसकी जानकारी रखनी चाहिए सरकारी अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे से सरकारी अस्पताल के डॉक्टर व नर्सो की नागरानी करनी चाहिए जो डॉक्टर समय पर नहीं आए उन्हें निलंबित करना चाहिए।
जिला जिला चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि शाम के समय 5 से 6 के बीच में संदीप पटेल ने मरीजों को दिखा