Diwali, a festival full of happiness that illuminates the world with lamps.Harda News

दिपावली भारत वर्ष में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। सभी लोग उत्साह के साथ इस त्यौहार को मनाते है। दिपावली के पूर्व घरों और दुकानों व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की साफ -सफाई की जाती है, रंगाई पुताई की जाती है। घरों में दीपक जला कर रोशनी की जाती है इस दिन घरों को खूब सजाया जाता है।

Harda News : दिवाली की तैयारियाँ पहले से शुरू हो जाती हैं और इस त्यौहार के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। दिवाली की पूजा के दौरान साफ-सफाई का बहुत महत्व होता है, इसलिए लोग कई दिनों से अपने घरों की सफाई शुरू कर देते हैं। सब लोग अपने घरों में दीये जलाते हैं और पूजा के बाद स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं।

दिपावली भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह उत्सव बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। दिवाली न केवल भारत में, बल्कि पूरे दक्षिणी एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में भी कई कारणों से मनाई जाती है। दिवाली कार्तिक मास की सबसे अंधेरी रात को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में होती है।

दिवाली पर लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, जिन्हें समृद्धि और धन की देवी माना जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या को उनका जन्मदिन मनाया जाता है। भगवान विष्णु लक्ष्मी के शांत स्वभाव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उनसे विवाह करने का निश्चय किया, और इस अवसर के उपलक्ष्य में दीयों को एक पंक्ति में जलाया गया। तब से, दीपावली देवी लक्ष्मी के सम्मान और उनकी कृपा पाने के लिए मनाई जाती है।

दिवाली के हर उत्सव के पीछे एक अर्थ और एक कहानी होती है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की आध्यात्मिक विजय का प्रतीक है। दिवाली की रोशनी हमारी सभी नकारात्मक महत्वाकांक्षाओं और विचारों को दूर करने, काली परछाइयों और बुराइयों को मिटाने और हमें शेष वर्ष के लिए अपनी दयालुता बनाए रखने की शक्ति प्रदान करने के समय का प्रतीक है।

भगवान राम के 14 वर्ष वनवास के दौरान, लंका के दुष्ट राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था। भगवान राम ने अंतत: लंका नरेश को पराजित किया और अनेक बाधाओं के बाद सीता को बचाया। इस विजय और राजा राम की घर वापसी के हर्षोल्लास में, अयोध्यावासियों ने पूरे राज्य को मिट्टी के दीयों से रोशन करके, मिठाइयाँ बाँटकर और पटाखे फोडक़र खुशियाँ मनाईं। यह परंपरा आज भी इस त्योहार को मनाने वाले लोगों द्वारा निभाई जाती है।

इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, इसलिए सभी लोग अपने घर को अच्छे से साफ कर दुल्हन की तरह सजाते हैं और घर के अन्दर बाहार हर जगहों को दीपों से सजा देते हैं। दिवाली दशहरा के 20 दिन बाद मनाया जाता है और ये दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक होता है। और इसलिए दिवली में ढेरों पटाखे भी फोड़े जाते हैं।

घर में विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ बनायीं जाती है। घर के सभी लोग नए नए कपड़ पेहनते हैं और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को तोफे भेंट करते हैं। दिवाली की रात अमावस्या की रात होती है इसलिए इस रात को सभी लोग अपने घर के बाहार दिप जलाते हैं ताकि उस दिप की रौशनी से पूरी दुनिया में प्रकाश फैले और अंधकार मिट जाये।

दिवाली एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे विनम्रता से मनाया जाता है लेकिन आज कल सभी लोग इस दिन को बहुत ही गलत तरीके से मनाते हैं और हर तरफ गन्दगी फैलाते हैं जिससे हमारे वातावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो जाता है। इसलिए आज इस लेख से हम ये जानेगे की दिपावली को अच्छे और सही तरीके से कैसे मनाये