its existence in the innocent faces of youthEditorial

हमारे देश में नशे का करोबार जितनी तेजी से फैल रहा है। उसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। जितनी तेजी से नशे का करोबार फैल रहा है, उतनी ही तेजी से युवा उसकी चपेट में आ रहे है। आज हमारे देश का युवा दो तरह से नशे में अपने वर्तमान और भविष्य को बर्बाद कर रहा है। एक तो युवा खुद नशे में मुब्तला होकर अपने वर्तमान और भविष्य को बर्बाद कर रहा है। तो दूसरी तरफ से नशे के करोबार के दलदल में युवा बुरी तरह से फसते जा रहे है।

आज जिस तेजी से युवा नशे के करोबार में अपनी भागीदारी निभा रहे है। ये हमारे देश के भविष्य के लिए आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकता है। युवा देश का भविष्य होते है अगर वो ही इस तरह नशे में अपने अस्तित्व को मिटाते जाएगें तो देश के भविष्य के बारे में कौन सोचेगा।

आज हमारे देश के लिए ये एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। देश का युवा शराब, सिगरेट, गुटखा ही नहीं चरस, गजा, आफिम हिरोइन के करोबार में बढ़ चढक़र अपनी हिस्सेदारी निभा रहा है।

आज ये सोचने वाली बात है हमारे देश के युवा ये किस रास्ते पर जा रहा है। जिसका कोई अंत नहीं है। नशा युवाओं को अंदर ही अंदर खोखला करते जा रहा है। आज युवा आधुनिकता की दौड़ में भागते हुए इस मुकाम पर आकर रूक गया है जिसकी कोई मंजिल नहीं है। आज न तो उन्हें अपने वर्तमान की चिन्ता है न भविष्य की।

आज के युवाओं को सिर्फ पैसा चाहिए। अपने शौक पुरा करने के लिए, अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए, पैसा कहां से आयेगा कोई रोजगार है नहीं तो फिर क्या जो राह मिली उसी में चल दिये।

आज बेरोजगारी ने युवाओं को इस मुकाम पर पहुंचा दिया है। जिसका कोई अंत नहीं है। सिवा मौत के वो आज उस रास्ते पर चल रहे है। जरा से किसी के कहने में बहकाबे में आ जाते है। और नशे की खरीद फरोख्त में बढ़ चढक़र हिस्सा ले रहे है।

इनमें कुछ युवा वो है जो बेरोजगार है जिन्हें किसी भी तरह से जॉव नहीं मिल पा रही है। और उन्हें पैसा चाहिए। तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे युवा है जो स्टूडेट है जिन्हें अपने मामूली शौकों को पुरा करने के लिए पैसों की जरूरत है।

अब नशे के करोबार के ठेकेदारों को ऐसे ही लोगों की ही जरूरत होती है। जिनके मासूम चहरे की आड़ में वो अपने गोरखधंधे को चला सकें। इन मासूम चहरों पर किसी को शक भी नहीं होता है। ऐसे में नशे के माफियाओं का काम आसानी से हो जाता है।

नशे का गोरखधंधा बड़ी आसानी से फल फूल रहा है। लेकिन इस सब से आज हमारे देश के युवाओं का वर्तमान और भविष्य ऐसे अंधकार में खोता जा रहा है। जिससे निकल पाना आगे चलकर उनके लिए बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि जो लोग इन युवाओं से नशे का करोबार करा रहे है। वो लोग ही इन युवाओं नशे का भी आदि बना रहे है।

शुरूआत में ये बहुत आसानी से इन युवाओं को नशे की चीजे दें देते है। लेकिन बाद में जब ये नशे के आदि हो जाते है तो इनसे अपनी मनमर्जी का काम करवाते है। ये एक ऐसा जाल होता जिसमें एक बार जो युवा फस गया उसका निकल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

आज जिस तेजी से हमारे देश में युवा वर्ग नशे का आदि हो रहा है ये एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। आज युवाओं में शराब का नशा एक आम बात हो गई है। ये बात किसी से छुपी हुई नहीं है हमारे देश की वर्तमान सरकार ने नशे के करोबार को खुली छुट दें रखी है।

जहां सरकार को नशे के करोबार को जड़ से खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन सरकार के द्वारा बकायदा करोबारियों को लाइसेंस दिये जाते है। आज देखा गया है आम तौर पर शराब की खुले में बिक्री पर कोई पाबंदी नहीं है। जहां एक मेडिकल चल रहा है कुछ ही दूर पर शराब की दुकाने चल रही है।

अब इस समस्या पर आंख मुंझकर रखने से भी कोई मतलब नहीं। क्या हमें याद नहीं कोविड महामारी के वक्त भी बड़ी बेशर्मी के साथ शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दी जा रही थी। जबकि लोगों खाने पीने की चीजे नहीं मिल पा रही थी।

नशा किस तरह से कई परिवारों के वर्तमान और भविष्य को खत्म कर देता ये जानते हुए भी इस करोबार को बढ़ावा देना कहां की इंसानियत है। ऐ काश हम ऐसे होते हम अपने ही नहीं दूसरों के भविष्य के बारे में भी इतनी ही गंभीरता से सोचते। तो शायद आज हम कुछ और होते।

सत्ता का ताज अपने सर पर रखने से कोई महान नहीं हो जाता है। महान जब होता है। जब उसके अंदर इंसानियत जिंदा हो। वो दूसरे के दुख दर्द को अपने अंदर तक उतरते हुए महसूस करता हो।

सैयद शबाना अली
हरदा मध्यप्रदेश