हम एक आजाद देश के नागरिक हैं। ये हमारे लिए जिन्दगी में सबसे बड़े सम्मान की बात हैं। लेकिन एक आजाद देश के नागरिक होने के नाते हमें अपने आधिकारों के साथ साथ अपने कर्तव्यों का बोध होना भी उतना ही जरूरी है।
आज हम अपने देश का 78 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहें हैं। ऐसे में हमें एक स्वतंत्र देश के नागरिक होने के नाते इस सवाल पर गौर करना होगा। स्वतंत्रता से हम क्या समझते हैं? और आजादी का हमारे लिए क्या मतलब है? एक स्वतंत्र देश के नागरिक होने के नाते हमें क्या करना चाहिए? आज यह सवाल हमें खुद से बार-बार पूछने की जरूरत हैं।
क्योंकि जिस तरह से आज हम अपनी जिन्दगी जी रहें वो एक बेवुनियादी सोच की तरफ हमें ले जा रही हैं। हमारे इस देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों हमारे पूर्वजों ने जो अपनी कुर्बनी दी। क्या हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए बहें उनके खुन की एक-एक बुंद का कर्ज हम चुका पाए हैं। या फिर हम फिर से उन गुलामी की जंजीरों में अपने आपको जकड़ते जा रहें जिनसे उन्होंने हमें अपनी जान पर खेलकर आजाद किया था। कहीं ऐसा तो नहीं कि हमने आजादी का गलत मतलब निकाल लिया हो? और हम दिशा विहिन जिन्दगी जी रहें हो?
आजादी का मतलब है कि हमें अपने देश में सोचने और बोलने की बुनियादी स्वतंत्रता मिली हुई है। हमें अपने विकास के लिए एक स्वस्थ और स्वतंत्र वातावरण मिला है। और हम उस स्वतंत्र देश के नागरिक है जहां पर बिना किसी भेदभाव के अपना विकास कर सकते हैं।
लेकिन आज हम अपने विकास के लिए जितनी तेजी से अपने कदम आगे बढ़ाते है। क्या उतनी ही सजकता के साथ हम अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों के लिए जागरूक हैं। या फिर यहां आकर हमारे कदम थम जाते हैं।
आज जब हमारे देश की स्वतंत्रता को 78 साल पुरे होने पर हमें सोचने की जरूरत है। इन 78 सालों में कहां से चलें थे और कहां तक पहुंचे हैं हम? आज हमारे देश ने हमें ये अवसर दिया हैं। हम बिना किसी भेदभाव के सत्ता के शिखर तक पहुंच सकते हैं। तो कही इसका ये मतलब तो नहीं हम सत्ता के उस शिखर पर पहुंचने के बाद हमारी भारत माता के प्रति हमारा क्या फर्ज हैं। हम भुल गए है। उसको हम निभा पा रहें हैं की नहीं। हमारे देश के प्रति हमारे जो कर्तव्य है उसके प्रति कितना हम जागरूक है। कहीं ऐसा तो नहीं सत्ता के शिखर पर पहुंचने के बाद हम सब कुछ भुल गए हैं।
हमारी भारत माता ने तो सभी देश के नागरिकों को समान तौर पर अपने आगोश में छुपा कर रखा हैं। और एक माँ की तरह वो हम सबपर प्यार लुटा रही है। लेकिन क्या हम अपनी भारत माँ के प्रति उतने ही प्यार से अपने फर्ज को निभा रहे है। जो एक स्वतंत्र भारत के नागरिक होने के नाते हमें निभाना चाहिए। आजादी का सबसे बड़ा मतलब है अधिकारों के साथ कर्तव्यों की भागीदारी ही है।
वो कर्तव्य जो हमारे देश के सविधान ने हमें इस देश के नागरिक होने की वजह से दिये हैं। आजाद भारत में हमें कई मौलिक अधिकार प्रदान किये हैं। उसके साथ ही हमारे देश के प्रति हमारे कुछ कर्तव्य भी हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे देश के प्रति हमारे कर्तव्य क्या हैं, हमारा दायित्व क्या है?
भारतीय संविधान में हमारे देश के प्रति हमारे कर्तव्यों को बहुत अहमियत दी गई है। जिसमें हमारे देश के संविधान ने हमें बताया हैं। हमें अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए। वैसे तो इसकी शिक्षा बचपन से ही हमें अपने परिवार और गुरूजनों के द्वारा दी जाती रही है। फिर भी हमें अपने आपकों हमेंशा देखतें रहना चाहिए हमारे दिल में अपने देश के प्रति कितनी महोब्बत हैं। और हमें हमेशा इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कभी हमारी भारत माता को हमारी जरूरत हो तो हम खुशी-खुशी अपनी जान देने को तैयार रहें।
साथ ही हमें अपने देश के विकास के लिए भी हमेशा आगे बढक़र कदम बढाने होगे। आजाद देश का नागरिक होने के नाते हमें समझना होगा हम और आप हमारे देश को मजबूत बनाने की दिशा में मिलकर काम करें। अगर हमें हमारे देश को एक महान देश बनाना है तो हमें भी एक महान और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनना होगा। और अपने देश को विकास के नये-नये अयाम पर पहुंचाने की कोशिश करना होगा। हमारा देश दिन प्रतिदिन विकास की ऊंचाईयों को छुएं उस ओर हमें हमारे कदम बढ़ाने होगे। और यहीं हमारी आंखों का सबसे बड़ा सपना होना चाहिए।
लेखिका-
सैयद शबाना अली
हरदा मध्य प्रदेश